चुनाव से भाग रही है भाजपा पंचायतों में नियुक्त करना चाहती प्रशासक: अखिलेश

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लखनऊ: गांव की सरकार यानी प्रदेश में पंचायत के चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर को और जिला पंचायतों का 15 जनवरी, 2021 को समाप्त हो रहा है, लेकिन भाजपा सरकार समय पर चुनाव न कराकर इनमें सरकारी प्रशासक नियुक्त करना चाहती है। यह जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।
अखिलेश यादव ने कहा कि जब कोरोना काल में मध्य प्रदेश में सरकार बन सकती है, बिहार में विधानसभा का चुनाव हो सकता है, पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं की बड़ी रैलियां हो सकती हैं। मुख्यमंत्री काशी-अयोध्या के दीपोत्सव में शामिल हो सकते हैं तो फिर पंचायत चुनाव और संसद के शीतकालीन सत्र के स्थगन का क्या औचित्य है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि यह भाजपा का डर है। इसलिए वह चुनाव से भाग रही है और बहानेबाजी कर रही है।
भाजपा सरकार लोकसभा का शीतकालीन सत्र टालकर किसानों और विपक्ष का सामना करने से बच रही है। वह विपक्ष और विरोध के खिलाफ बड़ा षडयंत्र कर रही है। भाजपा का संविधान, लोकतंत्र और संसदीय व्यवस्था पर विश्वास है तो उसे लोकसभा एवं विधानसभा का सत्र बुलाकर देश में किसान बिल, निजीकरण, बेरोजगारी, महंगाई, प्रदेश में गिरती कानून व्यवस्था, शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में अव्यवस्था, अवरुद्ध विकास, महिला सुरक्षा व किसानों के रुके हुए कामों पर तुरंत चर्चा करानी चाहिए।
सपा 23 को मनाएगी किसान दिवस
समाजवादी पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिवस 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाएगी। इस दौरान सभी जिला कार्यालयों पर कार्यक्रम आयोजित कर चौधरी चरण सिंह के योगदान पर चर्चा की जाएगी। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियां कारपोरेट समर्थक हैं। फसल की लागत मूल्य का डेढ़ गुना देने और सन 2022 तक आय दोगुनी करने का वादा करके उसे भुला देना भाजपा का दोहरा चरित्र है।अखिलेश ने भिखारी ठाकुर को याद किया
अखिलेश ने भोजपुरी के क्रांतिकारी कवि एवं लोक कलाकार भिखारी ठाकुर की 133वीं जयंती पर उन्हें शत-शत नमन करते हुए कहा है कि वे लोक जागरण के महान संदेशवाहक थे। उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर भी कहा जाता है। पद्मश्री से अलंकृत भिखारी ठाकुर लोक नाट््य परंपरा के भी जनक थे। समाज को आईना दिखाने वाली उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं।