Thursday, December 26, 2024
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चांद का दीदार कर सुहागिनों ने खोला करवा चौथ व्रत

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो)शाम से ही जैसे सभी की निगाहें आसमान से चांद को निहार रहीं थीं। ..शाम के धुंधले अंधेरे में जैसे ही चांद के दीदार हुए। सुहागिनों के चेहरे खिल उठे। पति की लंबी आयु की कामना को लेकर सुहागिनों ने बुधवार को करवा चौथ का निर्जला व्रत रखा। सुबह से ही घरों में तैयारियों का दौर शुरू हो गया था। सर्गी की रस्में निभाई गईं। सुहागिनों ने रात को चांद और पति का दीदार कर पूजन-अर्चन कर व्रत खोला तो पतियों ने भी प्रेम के इस पर्व पर पत्नी को कुछ न कुछ उपहार दिया। इस दौरान सभी छतों पर महिलाएं एक साथ दिखाई दीं। इससे पूर्व दिन भर सुहागिनों ने अपने सजना की दीर्घायु की कामना को रखे जाने वाले करवा चौथ के व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ रहा।
भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के प्रेम के रिश्तों को सात जन्म के बंधनों से जोड़ कर देखा जाता है। यही वजह है कि पति-पत्नी के प्रेम को प्रदर्शित करने वाला यह पर्व सुहागिनों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। बुधवार को जिले में प्रेम के पर्व करवाचौथ का उत्साह चरम पर दिखाई दिया। इस दौरान महिलाओं ने निर्जला व्रत रख कर पति की लंबी आयु की कामना की।
मान्यता के अनुसार हर साल कार्तिक महीने की कृष्णपक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। सुबह से ही घरों में तैयारियों का दौर चलता रहा, जहां महिलाएं सोलह शृंगार, मेहंदी आदि लगाकर तैयार हुईं तो वहीं घरों में भी तरह-तरह के पकवान बनाए गए। दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद रात में चांद का दीदार और पति को देखकर कर पूजन-अर्चन की रस्में निभाई। इस दौरान महिलाओं ने चंद को अर्घ्य देकर विधि विधान से पूजन किया। पूजन के बाद पतियों ने पत्नियों को अपने हाथों से पानी पिलाकर व कुछ मीठा खिलाकर व्रत खुलवाया।
आज चांद का कुछ अलग ही रहा महत्व
यूं तो चांद हर रात दिखता है, लेकिन रविवार की रात चांद का कुछ अलग ही महत्व रहा। सुहागिनों ने पूरे दिन निर्जल व्रत रखा और रात में सोलह शृंगार कर चांद का दीदार करने के बाद व्रत तोड़ा।
द्रोपदी ने कृष्ण के बताने पर रखा था यह व्रत
ऐसा मानना है कि करवा चौथ का व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है। यह व्रत द्वापर युग में शुरू हुआ था जब द्रोपदी ने इसे कृष्ण के बताने पर रखा था। आज के दिन सुहागिनें दिन भर निर्जला व्रत करती हैं और शाम को सोलह शृृंगार कर चंद्रमा के दर्शन कर उसे अर्घ्य देती हैं और पति का दर्शन कर व्रत तोड़ती हैं।

 

 

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