दालों में मंहगाई के तड़के नें बिगाड़ दिया घर की थाली का बजट

FARRUKHABAD NEWS FEATURED सामाजिक

फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) दालों के भाव इस समय आसमान पर है। दालों के दाम में चल रही इस एक तरफा वृद्धि ने आम उपभोक्ता पर महंगाई का बोझ बढ़ा दिया है। बीते तकरीबन 15 दिनों से बाजार में अचानक दालों के रेट आसमान पर पंहुच गये है| जिससे आम आदमी के घर भोजन की थाली का बजट बिगड़ रहा है| दालों में 4000 रूपये तक की बढ़ोत्तरी हुई है|
इसके साथ ही फुटकर बिक्री भी ना के बराबर रह गयी है| दाल के भाव में चल रही इस बढ़ोतरी से गृहिणियों में नाराजगी देखी जा रही है। खान-पान की इस उपयोगी सामग्री के दाम एकाएक बढऩे से किचिन का बजट भी बिगड़ गया है। आम उपभोक्ता के लिए इस समय दाल-रोटी खाना महंगा हो गया है।
दरअसल जिले के सबसे बड़े लिंजीगंज बाजार में दालों की बड़े पैमाने पर थोक व फुटकर बिक्री होती है| एक समय लोग कहावतों में कहते थे कि दाल रोटी खाकर काम चला रहे है| लेकिन वर्तमान समय में दाल खाना पनीर खाने जैसा हो गया है| विगत दिनों में दाल के रेट बेहाल हो गयें है| दाल के भाव में भी वृद्धि लगातार बनी हुई है। यानी थाली से हरी सब्जी गायब हो गई है। कोई भी सब्जी ऐसी नहीं है, जिसका भाव आसमान नहीं छू रहा है। किलो की जगह पाव से ही काम चलाया जा रहा है। थाली की पौष्टिकता कम हो गई है। फेस्टिवल सीजन में दालों पर महंगाई का तड़का लग गया है।
लिंजीगंज के किराना व्यापारी राजीव मिश्रा नें बताया कि बीते दिनों में अरहर की जो दाल 60 रूपये में थी वह 90 रूपये किलो और 80 रूपये किलो वाली दाल 120 रूपये किलो हो गयी है| चना दाल 50 रूपये से 70 रूपये पर पंहुच गयी है| उर्द की दाल 70 से 85 और 90 तक बिक्री हो रही है| मुंह की दाल की बात करें तो उसमे भी 10 रूपये किलो की वृद्धि हुई है| मुंह 70 से 80 रूपये प्रति किलो बिक्री हो रही है| इससे किचन का बजट गड़बड़ाने लगा है।
सरकार कड़े कदम उठाए
दालों के दाम एकाएक काफी बढ़ गए हैं। सरकार को इस बारे में कड़े कदम उठाना चाहिए। जो कालाबाजारी व जमाखोर हैं उन पर कार्रवाई हो। निधि कटियार, गृहिणी, नेकपुर कला फतेहगढ़