वीडियो वायरल: हत्या से पहले 45 मिनट तक मारपीट कर उतारा मौत के घाट

CRIME LUCKNOW POLICE

लखनऊ: राजधानी के पीजीआइ थाना क्षेत्र स्थित वृंदावन कॉलोनी के सेक्टर 14 में बुधवार सुबह एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतक दुर्गेश मूल रूप से गोरखपुर के मठ भताड़ी उरुवा बाजार निवासी उमाकांत यादव का पुत्र था। दुर्गेश उरुवा थाने का हिस्ट्रीशीटर था। वह गोरखपुर से मंगलवार को लखनऊ आया था और सचिवालय में सेक्शन अधिकारी अजय कुमार यादव के वृंदावन कॉलोनी स्थित मकान में किराये पर रह रहे दोस्त के साथ ठहरा था। हत्या से पहले हमलावरों ने दुर्गेश को कमरे में बंदकर जमकर पीटा। यही नहीं उसके कपड़े भी फाड़ दिए और वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।
रोप है कि बुधवार सुबह खरगापुर गोमतीनगर निवासी पलक ठाकुर अपने साथी फीरोजाबाद जिले के मसीरपुर में धनापुर गांव निवासी मनीष कुमार यादव व अन्य के साथ वहां पहुंची। सभी ने दुर्गेश के बारे में पूछताछ की। दुर्गेश उस दौरान बाथरूम में था। जैसे ही बाहर निकला, आरोपितों ने उसे दबोच लिया। दुर्गेश के साथी ओमेंद्र ने बताया कि आरोपितों ने दुर्गेश पर हमला बोल दिया। बीचबचाव करने पर उन लोगों ने असलहा तान दिया। वहां मौजूद अन्य युवकों को कमरे में बंद कर दिया। यही नहीं हमलावरों ने दुर्गेश को कमरे में बंदकर उसकी जमकर पिटाई की। दुर्गेश को अर्धनग्न कर लात, घुसे व चप्पल से पिटाई की और इसका वीडियो बनाते रहे|
खास बात यह है कि पिटाई करने वालों में पलक भी शामिल थी और दुर्गेश को गालियां देते हुए अपने रुपये वापस मांग रही थी। दुर्गेश ने हमलावरों से कपड़े पहन लेने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने एक न सुनी और उसे गोली मारने की धमकी देते रहे। दुर्गेश कई बार हमलावरों से बोला कि उससे मारपीट बंदकर कुछ देर शांति से बात करें, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी। वायरल वीडियो में दुर्गेश आरोपितो से बातचीत करने की गुहार लगा रहा है, लेकिन हमलावर उसपर बेल्ट से हमला करते दिख रहे हैं। आरोपितों ने कड़ी 45 मिनट तक दुर्गेश की पिटाई की, लेकिन किसी ने भी पुलिस को सूचना देना मुनासिब नहीं समझा। अगर दुर्गेश के साथ पुलिस को समयबसे सूचना दे देते तो शायद उसकी जान बवह जाती। उधर, किसी तरह लहूलुहान दुर्गेश अपनी जान बचाने के लिए नीचे की तरफ भागा। इसके बाद मनीष ने उस पर गोली दागी। गोली लगते ही दुर्गेश घायल हो गया और सभी आरोपित भाग निकले। दुर्गेश को ट्रामा सेंटर ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने मौके से एक खोखा बरामद किया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब हमलावरों की संख्या पांच से छह थी और वे दो गाडिय़ों से आए थे।
कमरे से मिले सचिवालय संबंधी दस्तावेज
डीसीपी चारु निगम ने बताया कि दुर्गेश के खिलाफ गोरखपुर के उरुवा थाने में कई मुकदमे दर्ज हैं। जिस कमरे में दुर्गेश ठहरा था, वहां से काफी दस्तावेज मिले हैं, जो सचिवालय से संबंधित हैं। घटनास्थल से अस्पताल ले जाते समय पूछताछ में दुर्गेश ने पलक और मनीष का नाम एसीपी कैंट बीनू सिंह को बताया था।
प्रतापगढ़ में दबोचा गया हत्यारोपित मनीष
हत्या कर फरार हुए मनीष यादव के बारे में पुलिस ने पड़ताल की। उसकी लोकेशन प्रयागराज रूट पर मिली। लखनऊ पुलिस की सूचना पर सक्रिय हुई प्रतापगढ़ के नवाबगंज थाने की पुलिस ने प्रयागराज जाते वक्त मनीष को घेराबंदी कर बम्हरौली बॉर्डर पर पकड़ लिया। आरोपित फीरोजाबाद जिले के मसीरपुर थाना क्षेत्र के धनापुर गांव का मूल निवासी है। उसने खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट का अधिवक्ता बताया। पुलिस ने उसके पास से 32 एमएम की पिस्टल और पांच कारतूस भी बरामद किए हैं। उधर, बुधवार देर रात पुलिस ने पलक को भी गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की पांच टीमें अन्य हमलावरों की तलाश में दबिश दे रही हैं।
नौकरी का झांसा देकर दुर्गेश पर 67 लाख रुपये हड़पने का आरोप
आरोपित मनीष ने पुलिस को बताया कि दुर्गेश ने खुद को सचिवालय में सचिव बताया था। इसके बाद झांसे में लेकर उन्हें नौकरी व अन्य सरकारी काम दिलाने का झांसा देकर 67 लाख रुपये ले लिए थे। काम न होने पर जब मनीष व उसके साथियों ने रुपये वापस मांगे तो वह टालमटोल करने लगा था। एसीपी कैंट डॉ.बीनू स‍िंंह ने बताया कि दुर्गेश पर नौकरी के नाम पर भी कई लोगों से ठगी का आरोप लगा है।
मकान मालिक अजय यादव की भूमिका की भी जांच
प्रकरण में घटनास्थल वाले मकान के मालिक अजय यादव की भूमिका की भी जांच की जा रही है। दुर्गेश पर गोरखपुर में लूट, डकैती, जालसाजी व छेड़छाड़ समेत अन्य धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा हजरतगंज कोतवाली में भी जालसाजी की एफआइआर दर्ज है। दुर्गेश खुद को कभी सचिवालय में सचिव तो कभी पत्रकार बताता था। वहीं मनीष स्वयं को दारोगा तो कभी अधिवक्ता बताता था। उसके कब्जे से एक फर्जी आइडी भी बरामद हुई है।