डेस्क: गणपति बप्पा का जन्मदिन गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इसे या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 22 अगस्त, शनिवार को है। इस दिन घर-घर में भगवान गणेश की प्रति स्थापित की जाएगी और अगले दिन तक प्रथम पुज्य भगवान गणेश की पूजा की जाएगी। कोरोना काल के कारण इस बार सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे, मंदिरों में भी सीमित संख्या में भक्तों को फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दर्शन की अनुमति होगी।
10 दिनों तक गणपति की आराधना करने के पश्चात 01 सितंबर दिन मंगलवार को गणपति बप्पा को विसर्जित कर दिया जाएगा। उस दिन अनंत चतुर्दशी है। कोरोना महामारी के कारण इस बार का गणेशोत्वस बिल्कुल अलग होने जा रहा है। भक्तों से अपील की जा रही है कि वे सार्वजनिक कार्यक्रम करने के बजाए अपने घरों में ही गणेशोत्सव मनाएं।
गणेश चतुर्थी को लेकर राज्य सरकारों ने गाइडलाइन जारी करना शुरू कर दिया है। सरकार ने कहा है कि कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए लोगों को अपने घर पर विनायक चतुर्थी मनाने की सलाह दी जाती है। इसके साथ राज्य की सरकार ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों में मूर्तियों की स्थापना और जल में मूर्तियों को विसर्जित करने के लिए रैली की अनुमति नहीं है।
मिट्टी की भगवान गणेश जी की प्रतिमा तैयार:
आने वाली 22 अगस्त से गणेश महोत्सव शुरू होने वाला है। इसको लेकर करीब 2 महीने पहले से मूर्तिकार अपने कारखानों में घरों में विराजमान होने वाली छोटी-छोटी भगवान गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण शुरू कर देते हैं।वर्तमान समय में इन मूर्तिकारों द्वारा प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बता दें, सरकार ने पीओपी की प्रतिमाओं पर पाबंदी लगा रखी है। ये प्रतिमाएं नदी में काफी समय में गलती हैं और इन प्रतिमाओं में लगाया गया केमिकल युक्त रंग पानी में रहने वाले जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंचाता है।