फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान आज हम लोगों के बीच नही रहे| यह खबर जैसे ही जिले में पंहुची तो जिले भर में शोक की लहर छा गयी| सभी के जहन में उनके साथ जिले में गुजारे गये लगभग ढाई वर्षों की तस्वीर घुम गयी| लेकिन नियति के आये किसी की नही चलती| आखिर जिन्दगी की पीच पर मौत की बाल नें पूर्व क्रिकेटर को क्लीन बोल्ड कर दिया|
भाजपा सरकार बनने के बाद मंत्री चेतन चौहान को बीते 26 अप्रैल 2017 को फर्रुखाबाद का प्रभारी मंत्री (जिला योजना कार्य समिति का अध्यक्ष) नामित किया गया था| उसके बाद वह जनपद में आकर जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ जिले की समस्याओं को सरकार तक पंहुचाते रहे| उन्होंने वर्ष बीते 28 अगस्त 2018 को बरसात और बाढ़ के इन्ही दिनों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र अमृतपुर के ग्राम कोला सोता में बाढ़ पीड़ितों से मिलकर उन्हें राहत सामग्री भेट की थी|
वह जनपद में 29 अगस्त 2019 तक दो वर्ष चार महीने और 3 दिन तक जिले के प्रभारी मंत्री रहे|
उनके बारे में पढ़े पूरी खबर:
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में चौहान के पास सैनिक कल्याण, होमगार्ड, पीआरडी और नागरिक सुरक्षा मंत्रालय थे। अमरोहा से चेतन चौहान भाजपा के सांसद भी रहे थे। चेतन चौहान भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। चेतन चौहान भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। 1991 और 1998 के चुनाव में वह भाजपा के टिकट अमरोहा से सांसद बने थे। चेतन चौहान अमरोहा जिले की नौगांवा विधानसभा के विधायक थे।
73 साल के चेतन चौहान ने भारत के लिए 40 टेस्ट मैच और 7 वनडे मैच खेले थे। पिछले साल तक वो यूपी के स्पोर्ट्स मिनिस्टर थे, लेकिन बाद में उन्हें दूसरा मंत्रालय दे दिया गया था। वो भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और दो बार लोकसभा एमपी भी रह चुके हैं। चेतन चौहन ने भारत के लिए टेस्ट डेब्यू साल 1969 में न्यूजीलैंड के खिलाफ किया था। अपने टेस्ट करियर में उन्होंने 31.57 की औसत से 2084 रन बनाए थे। टेस्ट क्रिेकेट में उनके नाम पर कोई शतक नहीं है जबकि उन्होंने 16 अर्धशतक लगाए थे। इसके अलावा भारत के लिए 7 वनडे मैचों में उन्होंने कुल 153 रन बनाए थे।
चेतन चौहान ने भारत के आखिरी मैच साल 1981 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था। इस टूर के बाद चौहान को टीम से ड्रॉप कर दिया गया और फिर कभी उन्हें भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। घरेलू मैचों में उनका रिकॉर्ड काफी शानदार था और उन्होंने 179 फर्स्ट क्लास मैचों में 40.22 की औसत से 11 हजार से भी ज्यादा रन बनाए।
घरेलू मैचों में उन्होंने 21 शतक और 59 अर्धशतक भी लगाए थे। 1981 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया था और इसके बाद उन्होंने राजनीति का रुख कर लिया।