Monday, December 23, 2024
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आजाद-तिलक बहादुरी, राष्ट्रभक्ति और बलिदान का पर्याय

फर्रुखाबाद:(नगर प्रतिनिधि) देश की आजादी में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अमर शहीद क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद व लोकमान्य तिलक की जयंती पर उन्हें याद किया गया| युवाओं से उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया गया।
शहर के बद्री विशाल डिग्री कालेज में स्थापित शहीद चन्द्र शेखर आजाद की प्रतिमा पर अंतरराष्ट्रीय न्यायिक मानवाधिकार संरक्षण के जिलाध्यक्ष आदित्य दीक्षित के नेतृत्व में पदाधिकारी एकत्रित हुए| जिलाध्यक्ष नें कहा कि चन्द्र शेखर आजाद और बाल गंगाधर तिलक दोनों नेताओं को बहादुर और दृढ़ क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया। उनकी वीरता के कार्य हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
नमामि गंगे के संयोजक रवि मिश्रा नें कहा कि अंग्रेज कभी मुझे जिंदा नहीं पकड़ सकेंगे’। यह कहना था शहीद चंद्रशेखर आजाद का। वो आजाद जिसने अंग्रेजों के दिलों में खौफ का वो बीज बो दिया था जिससे वह कभी नहीं निकल सके थे। यही वजह थी कि जब 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों की एक पूरी टुकड़ी ने उन्‍हें एल्फ्रेड पार्क में चारों तरफ से घेर लिया था तो किसी ने उनके पास जाने तक की हिम्‍मत नहीं दिखाई थी। इतना ही नहीं अपनी आखिरी बची हुई गोली से उन्‍होंने खुद अपनी ही जान ले ली थी। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं ने बाल गंगा धर के बलिदान को भी याद कर नमन किया| कहा गया कि तिलक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक और एक स्वतंत्रता सेनानी थे। इतिहास के अनुसार, तिलक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले नेता थे।
इस दौरान राजू भारद्वाज, कुलभूषण श्रीवास्तव, विपिन अवस्थी आदि रहे|

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