सम्भल: बहजोई थाना क्षेत्र के एक गांव में प्रधान पति और उसके बेटे की गोली मारकर मंगलवार को हत्या कर दी गई। पिता-पुत्र गांव से बाहर चल रहे मनरेगा कार्य को देखने गए थे। प्रधान पति सपा नेता था। बताया जा रहा है कि वर्ष 2017 में सपा से प्रधान पति को विधानसभा का टिकट भी मिला था, लेकिन बाद में गठबंधन के चलते कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारा था।गांव शमशोई में गांव के बाहर मनरेगा का कार्य चल रहा था। ग्राम प्रधान के पति सपा नेता छोटे लाल दिवाकर अपने बेटे सुनील दिवाकर के साथ मनरेगा कार्य को देखने गया था। बताया जाता है कि गांव के ही कुछ लोगों से उनकी पुरानी रंजिश चली आ रही है। जिस स्थान पर मनरेगा का कार्य चल रहा था वहीं पर हमलावरों ने दोनों को घेरकर गोली मार दी। इससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलने पर पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया और मनरेगा का कार्य कर रहा है मजदूर भी भाग गए। सूचना मिलने पर थाना पुलिस के अलावा सीओ मौके पर पहुंच गए। शवों को कब्जे में ले लिया गया है। आरोपितों की तलाश में पुलिस गांव में दबिश दे रही है।
छोटे लाल दिवाकर सपा नेता थे और वर्ष 2017 में चंदौसी विधानसभा से सपा ने इन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन कांग्रेस से गठबंधन के चलते बाद में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई थी और फिर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी यहां से उतारा था। सीओ अशोक कुमार ने बताया कि 2 लोगों की हत्या हुई है। हत्या करने वाले गांव के ही हैं । पहले से ही रंजिश चली आ रही थी आरोपितों की तलाश की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस गांव में 1973 में एक ही दिन में ग्यारह लोगों की हत्या हो गई थी। अब तक लगभग बीस लोगों की हत्या हो चुकी है।
प्रधान पति के चचेरे भाई और उसके बेटे को भी गोली मारने का किया प्रयास
प्रधान व उसके बेटे की हत्या करने के बाद भी हमलावर यहीं नहीं रुके। उन्होंने प्रधान पति के चचेरे भाई और उसके बेटे को गोली मारने के लिए रायफल तान दी, गनीमत रही की उस समय फायर नहीं हुआ, नहीं तो दो और जान जा सकती थी।विवाद की सूचना पर प्रधान पति छोटे लाल दिवाकर का चचेरा भाई मुकेश अपने पुत्र सुमित के साथ मौके पर पहुंच गया।
उत्तर प्रदेश के संभल में आपसी रंजिश में सपा नेता और उनके बेटे की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या। भारी भीड़ के सामने दोनों पक्षों में पहले जमकर कहासुनी हुई, इसके बाद इस दोहरे मर्डर को अंजाम दिया गया। उन्होंने भी विवाद शांत करने का काफी प्रयास किया। दोनों पिता-पुत्र हमलावरों को समझाते रहे, लेकिन वह किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे, दोनों की हत्या करने के बाद उन्होंने मुकेश और उसके बेटे सुमित पर रायफल तान दी। दोनों की हत्या करने के इरादे से ट्रिगर दबाया, लेकिन उस समय फायर नहीं हुआ। इसी बीच जब मजदूर मौके से भागे तो दोनों पिता-पुत्र ने मजदूरों के बीच भागकर अपनी जान बचाई। मौके पर मौजूद लोगों की मानें तो हमलावरों ने उन दोनों का पीछा भी किया, लेकिन मजदूर इतने थे कि वह बाद में उन पर गोली नहीं चला सके।
विवाद से एक घंटे पहले दे दी थी सूचना, फिर भी नहीं पहुंची पुलिस
अगर प्रधान पति के फोन को पुलिस ने गंभीरता से लिया होता तो शायद पिता पुत्र की हत्या न होती, क्योंकि प्रधान पति को पहले से ही विवाद होने का अंदेशा हो गया था और उन्होंने पुलिस को फोन कर फोर्स भेजने की मांग की थी। इसके बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। दोनों की हत्या सुबह 8 बजे कर दी गई, लेकिन पुलिस ने घटना के बाद भी 10 किलोमीटर का सफर तय करने में एक घंटा लगा दिया।लॉकडाउन के बीच मजदूरों को रोजगार मिले इसके लिए प्रधान कमलेश गांव से सैदपुर को जाने वाले कच्चे मार्ग पर मिट्टी मनरेगा के मजदूरों के माध्यम से गिरवा रही थी। सड़क के दोनों ओर खेतों से मजदूर मिट्टी खोद रहे थे और सड़क को चौड़ी कर रहे थे। जिस जगह से मंगलवार को काम शुरू हुआ उससे कुछ ही दूरी पर गांव के ही जितेंद्र का खेत था। इसके खेत में से भी मिट्टी उठाई जानी थी|
प्रधान पति छोटेलाल दिवाकर को यह अंदेशा था कि कार्य के दौरान जितेंद्र विवाद कर सकता है। इसलिए उन्होंने सुबह 7 बजे बहजोई पुलिस को फोन कर मौके पर फोर्स भेजने की मांग की थी। प्रधान पति को यह उम्मीद थी कि पुलिस मौके पर पहुंच जाएगी और कोई विवाद नहीं होगा। इसी के चलते उन्होंने काम शुरू करा दिया, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और वह मौके पर नहीं पहुंची। इसी बीच जितेंद्र अपनी लाइसेंसी रायफल और अपने बेटे सर्वेंद्र के साथ मौके पर पहुंच गए। सर्वेंद्र के पास परिजनों की लाइसेंसी रायफल थी। 10 मिनट की नोकझोंक के बाद पहले प्रधान के बेटे सुनील को गोली मारी उसके बाद प्रधान पति को भी गोली मार दी।
गोली चलते ही आसपास जमा लोगों की भीड़ में भगदड़ मच गई। जिसे जहाँ जगह मिली जान बचाकर भगा। सनसनीखेज हत्या की ये वीडियो हैरान करने वाली है।आरोपित दो बाइकों से पहुंचे थे और घटना को अंजाम देने के बाद आगे खड़ी कार में सवार होकर फरार हो गए। पिता-पुत्र की सुबह 8 बजे गोली मारकर हत्या कर दी थी, लेकिन पुलिस ने 10 किलोमीटर का सफर तय करने में भी लगभग एक घंटा लगा दिया। अगर सुबह से ही पुलिस ने गंभीरता बरती होती तो शायद दोनों की जान बच जाती। अब पुलिस यह पता लगाने में लगी है कि सर्वेंद्र के पास जो रायफल थी वह किसकी थी। विरोध के बीच पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
पहले पुत्र को फिर पिता को हमलावरों ने मारी गोली
पूरी घटना की मौके पर खड़े कुछ लोगों ने वीडियो बनाई है। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि पहले हमलावर नोकझोंक के बाद जाने लगे थे, लेकिन बाद में हमलावर वापस लौटे और दोनों को गोली मार दी। इस बीच कुछ लोगों ने उन्हेंं समझाने का भी प्रयास किया।
प्रधान व उसके बेटे की हत्या करने की साजिश सुबह से ही रची जा रही थी। क्योंकि जिस समय हमलावर रायफल लेकर पहुंचे उससे पहले कोई विवाद नहीं हुआ था। नोकझोंक के बीच कई बार प्रधान पति व उसके बेटे पर राइफल तानी गई लेकिन मौके पर मौजूद मनरेगा के मजदूर उन्हेंं समझा-बुझाकर वापस भेजने के प्रयास में लगे हुए थे, लेकिन हमलावर ने दोनों की हत्या करने की ठान रखी थी।
एक बार तो हत्यारे मौके से कुछ कदम दूर वापस चले गए थे लेकिन इसी बीच वह दोबारा वापस आए और लगभग 5 फीट की दूरी से प्रधान पुत्र सुनील को गोली मार दी। इसी बीच दूसरे हमलावर ने प्रधान पति को गोली मार दी। प्लानिंग के तहत मौके से फरार होने के लिए पहले से ही एक कार मौजूद थी जिसमें सवार होकर वह फरार हो गए।