प्रयागराज: उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह के कार्य करने पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने रोक लगा दी है। इनके स्थान पर उपाध्यक्ष देवेन्द्र मिश्र नगरहा को अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया है। पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर सिंह पर कदाचार, शक्ति का दुरुपयोग व गवन का आरोप है।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल अध्यक्ष हरिशंकर सिंह के कार्य करने पर रोक लगाने के साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनसे 10 दिन में सफाई मांगी है। हरिशंकर सिंह पर कदाचार, शक्ति का दुरुपयोग व गबन का गंभीर आरोप है। काउंसिल के सदस्यों की शिकायत पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्र ने सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। हरिशंकर सिंह के 14 मार्च के बाद जारी सभी आदेशों पर भी रोक लगा दी गई है। बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्र ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह के कार्य करने पर रोक लगा दी है और 14 मार्च के बाद इनकी ओर से जारी सभी आदेशों को स्थगित करते हुए उन्हेंं बार काउंसिल की आम सभा में रखने का निर्देश दिया है। अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने 15 मई को 72 लाख के गबन के आरोपी सचिव राम जीत सिंह यादव का निलंबन रद करते हुए बहाल कर दिया था। इनके जारी स्थगित आदेशों में यह भी है|
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के उपाध्यक्ष देवेंद्र मिश्र नगरहा को अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया है। बार काउंसिल आफ इंडिया के सचिव श्रीमन्तो सेन ने हरिशंकर सिंह को नोटिस जारी कर सदस्यों की ओर से उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों की दस दिन के भीतर सफाई मांगी है। पूर्व अध्यक्ष सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बिना प्राधिकार के ऐसे लिपिक के जरिए संयुक्त रूप से बैंक खाता खुलवाया जिसे ऐसा करने का अधिकार नहीं है। इस खाते में पंजीकरण से प्राप्त लाखों रुपये जमा कराये। बिना बार काउंसिल की सहमति के निलंबित सचिव को मनमाने ढंग से बहाल कर दिया, जो हाईकोर्ट जज की जांच में 72 लाख रुपये के गबन के दोषी पाये गये हैं। बार काउंसिल आफ इंडिया ने इन सभी आरोपों की हरिशंकर सिंह से सफाई मांगी है।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के आठ सदस्यों ने अध्यक्ष हरिशंकर सिंह के खिलाफ बीसीआई चेयरमैन को पत्र लिखा। प्रदेश के बार काउंसिल आफ इंडिया के सदस्य श्रीनाथ त्रिपाठी ने इस पर कार्ररवाई की मांग की। इसमें कहा गया कि अध्यक्ष हरिशंकर सिंह पद का दुरुपयोग कर मनमानी पर उतारू हैं। उनका कार्यकाल 8 जून को समाप्त हो रहा है। चुनाव के लिए बैठक बुलाने से लाक डाउन के बहाने इन्कार कर दिया है। बार काउंसिल के अध्यक्ष लूट में लगे हैं। बिना अधिकार के निलंबित सचिव को मनमाने ढंग से बहाल कर दिया। इस पर तत्काल कार्यवाई की जाय। जिस पर भारतीय विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष मनन मिश्र ने सख्त कार्रवाई की है।
दरवेश यादव की हत्या के बाद मान लिया गया था अध्यक्ष
आगरा की कचहरी में दिनदहाड़े यूपी बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव की हत्या के बाद अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर उठा विवाद आखिरकार थम गया जब रिक्यूजीशन बैठक के बाद हरिशंकर सिंह को सर्वसम्मति से अध्यक्ष मान लिया गया।
दरअसल बार काउंसिल के अध्यक्ष पद के चुनाव में दरवेश व हरिशंकर सिंह को बराबर मत मिले थे। जिस पर यह फैसला हुआ था कि दोनों को अध्यक्ष पद पर छह-छह माह का कार्यकाल दिया जायेगा। जीत के बाद जश्न का दौर चल ही रहा था कि आगरा कचहरी में अध्यक्ष दरवेश यादव के साथी वकील मनीश ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। इसके बाद से बार काउंसिल के अध्यक्ष पद को लेकर रार मची हुई थी। दरवेश तथा हरिशंकर सिंह दोनों को बराबर मत मिले थे। एक जुलाई को अध्यक्ष चुने गए हरिशंकर सिंह का कार्यकाल 13 जून से ही प्रभावी माना गया।