Monday, December 23, 2024
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWSगाँव की खेती नें परदेसियों कें आंगन में लौटा दी खुशियाँ

गाँव की खेती नें परदेसियों कें आंगन में लौटा दी खुशियाँ

फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) देश में कोरोना संक्रमण को लेकर चल रहे लॉकडाउन के करीब दो माह पूरा होने के बाद तथा प्रवासी मजदूरों के वापस गांव आने के बाद गांव के हालात बदलने लगे हैं। अधिकतर प्रवासी मजदूर वापस गांव आकर अपना पूरा समय खेती-बाड़ी में लगे हैं। इससे गांव की दिशा व दशा बदलने लगी है। साथ ही पूरे परिवार के साथ रहने के कारण घर का माहौल भी बदल गया है। सभी के आंगन में खुशियां गूंजने लगी है। लोगों का कहना है कि नून रोटी खाएंगे लेकिन परिवार के सभी सदस्य के साथ गांव में ही रहेंगे।
अब रोजी-रोटी की तलाश में गांव छोड़कर परदेश नहीं जाएंगे। गांव में रहकर मजदूरी करेंगे। इस संकट से उबरने के बाद ग्रामीणों और शासन का सहयोग मिलेगा, तो हमें अन्य दूसरे स्थान पर रोजगार की तलाश में नहीं भटकना पड़ेगा। यह बात शनिवार को बाहर से लौटे मजदूरों ने कही। उनके पास जमा-पूंजी के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है। वैश्विक कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए कई लोग परदेस से घरों को लौट रहे हैं तो कई लोग लौट आए हैं। लॉकडाउन में घरों में ही रहकर अपना काम कर रहे हैं। इसमें कई ने तो अब बाहर न जाकर अपनी माटी में ही कामधंधा शुरू करने का मन बना लिया है। ऐसे लोगों का कहना है कि घर में रोटी है तो बाहर जाने की जरूरत नहीं है। अब बाहर जाना फ़िलहाल खतरे से खाली नही है|
अमृतपुर के गुजरपुर निवासी बबलू दिल्ली में नौकरी करते थे| वह लॉक डाउन के चलते गाँव लौटे है| उनका कहना है कि वह अब अपनें गाँव की माटी में ही रोजगार परक कृषि का प्रयास करेंगे| दिल्ली से ही लौटे संजीब पुत्र ग्रीश चन्द्र भी लॉक डाउन में अपना रोजगार छोड़कर गाँव आ गये है| उनका भी लगाव खेतों की तरफ ही बढ़ रहा है| कहना है कि फ़िलहाल अब खेतों में ही सोना उगाने की पहल करनी होगी| जिससे परिवार का भरण पोषण ठीक से हो सकेगा| संजीब का कहना है घर आने से कम से कम अपनों को समय तो दे पा रहे है|
गांव में खर्चे कम
गांवों में लोगों के खर्चे कम होते हैं। पुश्तैनी घर होने से किराया नहीं देना पड़ता है। सब्जी, दूध, किराना वस्तुएं शहरों के मुकाबले सस्ते दाम में मिलती हैं। ऐसे में कम खर्च में गुजारा करना आसान है।
ये भी विकल्प
मनरेगा के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के और भी विकल्प मौजूद हैं। फूलों की खेती, मधुमक्खी पालन समेत अन्य काम कर रोजाना अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे स्वत: के साथ ही परिवार व गांव के अन्य लोगों के लिए भी रोजगार से अवसर पैदा होंगे।(ब्रजकान्त दीक्षित अमृतपुर) 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments