पढ़ाना तो दूर मासूमों के निवाले पर शिक्षकों व एनजीओ का डाका

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*काल्पनिक छा़त्रों की फर्जी उपस्थिति के नाम पर नगर में मध्याह्न भोजन का बंदरबांट

फर्रुखाबाद,नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में काल्पनिक छा़त्रों की फर्जी उपस्थिति के गोरखधंधे के चलते एनजीओ शिक्षकों की मिली भगत से मासूमों के निवाले के नाम पर करोड़ों का खेल कर रहे हैं। काल्पनिक छा़त्रों के नामांकन से उनकी नौकरी का कारण बचा रहता है व उनके नाम पर आने वाली छात्रवृत्ति हड़प हो जाती है, वहीं और फर्जी उपस्थिति के गोरखधंधे से मध्याह्नभोजन वितरण के लिये अनुबंधित एनजीओ खाद्यान्न व कनवर्जन कास्ट के नाम पर सरकारी खजाने को दोनों हाथों से लूटते हैं, बदले में अध्यापकों को भी थोड़ा बहुत टुकड़ा डाल देते हैं। एनजीओ संचालकों की ओर से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी जाने वाली मोटी चौथ के चलते उनका मुंह भी बंद रहता है, और गोरखधंधा निर्बाध गति से चलता रहता है। हद तो यह है कि मध्याह्न भोजन प्राधिकारण के अपर निदेशक संतोष कुमार के निरीक्षण में एनजीओ द्वारा किये जा रहे घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद भी आज तक इनके विरुद्ध कार्रवाई तो दूर इनको हटाया तक नहीं गया है।

——–शहर की मध्याह्न भोजन व्यवस्था विगत कई वर्षों से एनजीओ के हवाले है। नगर क्षेत्र के कुल 121 परिषदीय विद्यालयों के कुल 16 हजार 128 छात्रों को भोजन देने की जिम्मेदारी इन एनजीओ को सौंपी गयी है। सर्वाधिक 55 स्कूल शांती समाज सेवा समिति फर्रुखाबाद के पास हैं। सिद्धार्थ जनकल्याण शिक्षा प्रसार संस्थान के पास 36, डा. अंबेडकर पब्लिक वेलफेयर सोसाइटी के पास 26 और प्रियम आनंद शिक्षा प्रसार समिति के पास 4 विद्यालय हैं।

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मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को भेजी सूची के अनुसार नगर के प्राथमिक विद्यालय लिंजीगंज में कुल 282 छात्र पंजीकृत दिखाये गये हैं। इसी विद्यालय परिसर में प्राथमिक विद्यालय सुतहट्टी भी संचालित है। सूची के अनुसार इस वि़द्यालय में 146 छात्र पंजीकृत हैं। शनिवार को दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे खाना बंटने से पूर्व जाकर देखा तो दोनो विद्यालयों के कुल जमा 36 छात्र एक ही बरामदे में बैठे खेलते और बतियाते नजर आये। लिंजीगंज स्कूल के प्रधानाचार्य दया शंकर मिश्रा से आज की छात्र उपस्थिति के विषय में पूछा तो उन्होंने रजिसटर से गिनकर कुल 68 छात्रों के उपस्थित होने की बात बतायी। दूसरे विद्यालय के प्रधानाचार्य सरदारमीर खां ने बताया कि मात्र 20 बच्चे ही आये हैं। कुल जमा 88 छात्रों के सापेक्ष भी मात्र 36 की उपस्थिति के विषय में पुछने पर श्री मिश्रा ने बताया कि बच्चे आस पास के हैं कभी आते हैं कभी नहीं आते हैं और कभी कभी आने के बाद भाग जाते हैं। परंतु मध्याह्न भोजन वितरण से पूर्व बच्चों के चले जाने का कारण वह भी नही बता सके। मजा तो तब आया जब विद्यालय का मध्याह्न भोजन रजिस्टर मांग लिया। रजिस्टर पर दोनों स्कूलों के मध्याह्न भोजन खाने वालों बच्चों की संख्या औसतन 150 से 175 के बीच दर्ज है। जाहिर है कि मात्र 36 की उपस्थिति के सापेक्ष चार से पांच गुना छात्र संख्या के आधार पर एनजीओ भुगतान निकाल रहे हैं।

——–मामला फंसते देख किसी ने एनजीओ के प्रभारी को फोन कर दिया, शिक्षा विभाग के भी एक कनिष्ठ अधिकारी ने इसी दौरान वस्तुस्तिथि जानने के लिये फोन घुमा डाला। जाहिर है कि शिक्षक, एनजीओ और शिक्षा विभाग के अधिकारी सबकी मिलीभगत से यह कालाधंधा या यूं कहें की मासमो के निवाले पर डाका चल रहा है।

Name No. of Schools

नियम विरुद्ध चयनित एनजीओ के आगे बौना प्रशासन

अपर निदेशक के आदेश के बाद भी नहीं बदले एनजीओ

——–फर्रुखाबाद, मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के अपर निदेशक संतोष कुमार के विगत 12 अक्टूबर को हुए जनपद के निरीक्षण दौरे में ही जनपद में एनजीओ के नियम विरुद्ध चयन और उनके द्वारा की जा रही अनियमित्ताओं का भंडा फोड़ हो गया था। अपर निदेशक के मौखिक आदेशों का जब कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने 12 नवंबर को पत्र लिखकर बिंदुवार निरीक्षण रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी। तत्कालीन जिलाधिकारी मिनिस्ती एस ने एनजीओ को हटा कर नये सिरे चयन के आदेश कर दिये। बाकायदा विज्ञापन प्रकाशित हुआ, आवेदन आये, जेबे और फाइले मोटी हुईं परंतु वर्तमान में कार्यरत एनजीओ का सिडीकेट व्यवस्था पर हावी आ गया या कारण कुछ और रहा परंतु नये एनजीओ का चयन नहीं हो सका और वही नियम विरुद्ध चयनित एनजीओ धड़ल्ले से काम कर रहे हैं।

NGO-REPORT Addl Dir NDM Sa ntosh Kumar