Friday, January 10, 2025
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पृथ्वी दिवस: प्लास्टिक से अब पृथ्वी को बचानें की चुनौती बनी पहाड़

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) हर वर्ष 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी एक मात्र ग्रह का जहां मानव जीवन है। धरती पर जीवन को बचाए रखने के लिए पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को बचाकर रखना जरूरी है। मानव अपनी जिम्मेदारी से लगातार भटकता जा रहा है। धरती के संसाधन का निर्दयतापूर्वक इस्तेमाल से पर्यावरण असंतुलित हो रहा है। पॉलिथीन के कारण मिट्टी प्रदूषण, जल संकट, वायु प्रदूषण के रूप में पर्यावरणीय संकट सामने आ रहा है। नगर में कई जगह घर से निकल रही पॉलिथीन के पहाड़ नजर आ रहे है जो पृथ्वी की सुन्दरता को ग्रहण तो लगा रहे है साथ ही भू- प्रदूषण में भी बड़ा योगदान दे रहे है|  प्लास्टिक ऐसा तत्व है जो नष्ट नहीं होता है और पृथ्वी की उर्वरा शक्ति को लगातार नष्ट करता है। इसके साथ यह जीव पशुओं के लिए खतरनाक है। पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद भी पाबंदी नही लग पा रही है|
पाताल जा रहा जलस्तर
जनपद में पहले नदी सरोवर में पानी लबालब रहता था। नदियों कभी सूखती नहीं थी लेकिन अब परिस्थितियां प्रतिकूल है। नदियों मैदान की तरह सपाट और निष्प्राण होती जा रही है। तालाब सहित अन्य जलस्त्रोत भी सूखने लगे हैं। प्राकृतिक जलश्रोत समाप्त होने से भूगर्भ जल का दोहन बढ़ा है। बड़े पैमाने पर नदियों से बालू का उठाव कर नदी को निष्प्राण बना दिया जाता है। अगर समय रहते पहल नहीं हुई तो पृथ्वी और मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है।
1970 से मनाया जा रहा है पृथ्वी दिवस
विश्व पृथ्वी दिवस 1970 से मनाया जा रहा है जिसका मकसद है पृथ्वी की सुरक्षा करना और मानव जीवन को सुरक्षित करना। इसके लिए पृथ्वी दिवस के दिन पर्यावरण से जुड़े कई कार्यक्रम का आयोजन होता है। लेकिन इस समय लॉक डाउन के चलते पृथ्वी दिवस का कार्यक्रम घरों में ही किया जा रहा है|
पॉलिथीन मिक्स कूड़ा जलाना नुकसानदेह
गौरतलब है कि अधिकांशत: प्लास्टिक का जैविक क्षरण नहीं होता। यह 500 साल तक नष्ट नहीं होता। यह जमीन में पड़े-पड़े सड़ता भी नहीं है। यह जमीन में केंचुआ जैसे मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले जीव को भी क्षतिग्रस्त कर देता है। पॉलिथीन मिक्स कूड़ा जलाना तो और भी नुकसानदेह है, क्योंकि यह हवा में हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोक्साइड घुलकर सांस के जरिये आपके शरीर में प्रवेश कर जाती है। आज पैदा किया गया प्लास्टिक कचरा सैकड़ों-हजारों साल तक हमारे साथ बना रहेगा जो हमारे जीवन और पर्यावरण से खिलवाड़ करता रहेगा। इसकी भरपायी असंभव होगी।

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