कवि सम्मेलन में हास्य, वीर, शृंगार रस की बही गंगा

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फर्रुखाबाद: स्वर्गीय ब्रह्म दत्त द्विवेदी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में हास्य, वीर, शृंगार रस की गंगा वही| कवि सम्मेलन सुनने आये शहर बासी कवियों के शब्दों में बंधे रहे|
नगर के रेलवे रोड स्थित  एक टाकिज के हाल में आयोजित पांचाल पर्व काव्य सम्मेलन में पंहुचे ज्न्पाद के साथ ही दूसरे जनपदों के कवियों के समां बाँधा| गीतकार कुंअर बेचैन, डॉ० रूचि चतुर्वेदी, विनोद राजयोगी आदि कवियों के काव्य पाठ ने लोगों को मंच की तरफ आकर्षित किया| कुंअर बेचैन ने कविता पढ़ी उसने मेरे छोटेपन की इस तरह इज्जत रखी, मैंने दीवारे उठायी उसने उन पर द्दात रखी| शिवम ओम अम्बर नें कविता पढ़ी कब तक विद्रोह की यह खाईयां खुदवाओगे, कब्ब तक वट वृक्ष पर विष फैलाओंगे| रामेन्द्र त्रिपाठी नें कहा पहाड़ फाड़ कर बना करती है नदियाँ, नदियाँ समन्दर को प्यार करती है| रूचि चतुर्वेदी नें काव्य पाठ करते हुए कहा कि लाल महावर लगे मेरे इन पावों की चिंता मत करना, सीमा पर जागे रहना तुम गाँव की चिंता मत करना आदि कवियों ने कवियों को पढ़ कर श्रोताओं को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया|
जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह, एसपी डॉ० अनिल कुमार मिश्रा, सीओ सिटी मन्नी लाल गौड़, डॉ० हरिदत्त द्विवेदी, डॉ० अरविन्द गुप्ता, अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ, विधायक अमर सिंह खटिक, भूदेव राजपूत आदि रहे| सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी नें सभी का स्वागत किया|