फर्रुखाबाद, सूचना के अधिकार और इसके अंतर्गत सूचना मांगने का आवेदन करने वालों के साथ आज भी सरकारी विभाग और अधिकारी किस प्रकार का व्यवहार करते हैं, इसकी ताजगी बानगी डीआरडीए ने प्रस्तुत की है। जिला ग्राम्य विकास अभिकरण ने कंटीजेंसी मद में खर्च की धनराशि का अधूरा व्योरा डेढ़ वर्ष बाद उपलब्ध कराया वह भी सूचना आयोग की चाबुक के बाद।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कंटीजेंसी मद में वर्ष 2007-08, 2008-09और 2009-10 में हुए खर्च का व्योरा कांग्रेस नेता आदिल कामरान एडवोकेट ने 31 अगस्त को परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण से मांगा था। कई अनुस्मारकों के बावजूद जब डीआरडीए टस से मस न हुआ तो अधिवक्ता आवेदक को राज्य सूचना आयोग में दस्तक देनी पड़ी। आखिर सूचना आयोग के निर्देश पर डीआरडए ने जो सूचना आवेदक को दी वह भी आधी अधूरी थी। इस सूचना के साथ लगे परियोजना निदेशक ने न तो कुल संलग्नकों की संच्या लिखी है और न ही वर्ष वार हुए खर्च का योग दिया है। इससे इस सूचना के आधार पर कोई मामला फंसने पर कभी भी मुकरा जा सकता है या सूचना को अपूर्ण बताकर बचा जा सकता है। श्री कामरान ने बताया कि इस संबंध में आयोग में अपील की जायेगी व अपूर्ण व भ्रामक सूचना देने के लिये संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की जायेगी।