तबादला न होने पर शिक्षिका ने किया आत्महत्या का प्रयास

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फर्रुखाबाद: राजेपुर ब्लाक के जूनियर स्कूल महेशपुर में तैनात महिला शिक्षिका रत्नेंद्र विक्रम ने देर शाम नींद की गोलिओं का ओवरडोज खाकर जान देने की कोशिश की| गंभीर अवस्था में शिक्षिका को मिशन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है| दूर दराज ग्रामीण इलाके से महिला शहर के नजदीक अपना तबादला कराना चाहती थी और ऐसा न हो पाने पर उसमे जान देने की कोशिश की| बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि तबादला करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है और शिक्षिका के तबादले के लिए पत्र उच्चधिकारियो को भेजने हेतु निर्देशित कर दिया गया है|

श्रीमती रत्नेंद्र विक्रम का कहना है कि लगभग 15 दिन पहले उसकी तैनाती के विद्यालय महेशपुर के दो उदंडी छात्रो ने न केवल अभद्रता की बल्कि धमकी भी दी| महिला ने इसकी शिकायत तहसील दिवस पर की थी जिसकी जाँच ब्लाक राजेपुर के सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी नागेन्द्र चौधरी और उप बेसिक शिक्षा अधिकारी जगरूप शंखवार को सौपी थी| जाँच में दोनों अधिकारिओं ने शिकायत सही पाई और शिक्षा के तब्दले की संस्तुति कर दी|

बेसिक शिक्षा अधिकारी कौशल किशोर ने बताया कि उक्त प्रकरण में जाँच मेरे पास आई थी जिसके बाद शिक्षिका को निकट के विद्यालय में अस्थायी कार्य करने हेतु सम्बद्ध करने के लिए सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी को लिख दिया गया था| उक्त का पत्र भी शिक्षिका को प्राप्त करा दिया गया था| उसके बाद तबादला नीति के चलते उन्हें बीच सत्र में किसी शिक्षक का स्थान्तरण करने का अधिकार नहीं है लिहाजा वो तबादला नहीं कर सके|

शिशिका रत्नेंद्र की दयानंद इंटर कॉलेज में बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी लगी है जिसके लिए वो आज महेशपुर गाँव में स्थित विद्यालय में रिलीव करने के लिए गयी थी| शिक्षिका ने जेएनआई को बताया कि लौटते समय भी दोनों छात्र उसे मार डालने की धमकी दे रहे थे| बाद में शिक्षा मित्र उसे सड़क तक छोड़ने आये| शिक्षिका ने मनचाहे तबादले की जगह अन्य विद्यालय में मात्र स्म्बधिकरण आदेश की प्राप्ति के बाद जरुरत से ज्यादा नींद की गोलियां खा ली| खबर लिखे जाने तक शिक्षिका की हालत खतरे से बाहर है| शिक्षिका ने बेसिक शिक्षा अधिकारी पर तबादले के लिए ५००००/- रिश्वत मांगने का भी आरोप लगाया है जिसके एवज में बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि आरोप लगाना तो सबसे सरल है, जो काम उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं है उसे वो कैसे करा सकते थे| असल बात तो ये है कि ग्रामीण क्षेत्रो में तैनात हर शिक्षक सड़क के किनारे के विद्यालय तैनाती के लिए चाहते है जो कि सम्भव नहीं है| ऐसे तो ग्रामीण शिक्षा का उद्देश्य ही धरा रह जायेगा|