Saturday, January 4, 2025
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यूपी के किसानों को आलू के रिकार्ड उत्पादन के बावजूद नहीं मिल पा रहा अपेक्षित लाभ…जानिये कारण

लखनऊ: देश का एक तिहाई से अधिक आलू उत्पादन करने के बावजूद उत्तर प्रदेश के किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसकी बड़ी वजह आलू के निर्यात की संभावना कमजोर होना है। राज्य सरकार आलू के निर्यात को प्रोत्साहित करने के साथ भंडारण की क्षमता बढ़ाने की कार्ययोजना तैयार करा रही है। आलू की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराने की नीति में बदलाव किया जाएगा।
इस बार भंडारित आलू का बेहतर दाम मिलने से किसानों के चेहरे पर मुस्कान जरूर है, परंतु इसको कायम रखने के लिए निर्यात व भंडारण सुविधा बढ़ाने की चिंता जताते हुए उद्यान व कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीराम चौहान का कहना है कि प्रदेश में गन्ना के अलावा आलू को ही नकदी फसल माना जाता है। इसके जरिये किसानों की आय दोगुना करने का एजेंडा पूरा करना आसार होगा। उन्होंने स्वीकारा कि दो दशक पूर्व अन्य राज्यों में भी यूपी के आलू की जबरदस्त मांग रहती थी, परंतु अब पहले जैसी स्थिति नहीं रहीं। पूर्ववर्ती सरकारों ने आलू किसानों को झूठे वादों में उलझाए रखा।
25 लाख मीट्रिक टन आलू बनता है सिरदर्द
उत्तर प्रदेश में करीब 6.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आलू बोया जाता है। वर्ष 2018-19 में 147.77 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ। प्रदेश में 1909 शीतगृह हैं, जिनमें 121.9 लाख मीट्रिक टन आलू भंडारण की क्षमता है। ऐसे में 25.68 लाख मीट्रिक टन आलू अक्सर सिरदर्द बना रहता है। आलू कारोबारी ब्रजेश सिंह कहते हैं कि सरकारी नीतियां व्यवहारिक न होने से आलू निर्यात कम होता है। चिपसोना, ख्याति एवं सूर्या जैसी प्रजाति के आलू की मांग अधिक हैं, लेकिन बीज की किल्लत होने से किसान मजबूरन पुराने बीज पर दांव लगाता है।
जैविक आलू की मांग बढ़ी
आगरा के आलू उत्पादक अनिल चौधरी का कहना है कि किसानों को परम्परागत खेती का तरीका बदलना होगा। बाजार में रोगरहित जैविक आलू की मांग बढ़ी है। किसानों को आलू की ग्रेडिंग और पैकेजिंग पर भी ध्यान देना होगा। सरकार को चाहिए कि किसानों को आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ निर्यात व प्रसंस्करण की छोटी ईकाई लगाने को प्रोत्साहित करें। आलू विशेषज्ञ डॉ. आरके गुप्ता कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश जिलों में मौसम की मार के बावजूद रिकार्ड पैदावार के आसार हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जलवायु उन्नत किस्म का आलू उत्पादन के अनुकूल है, इसका लाभ उठाने को कार्ययोजना बनाई जाएं।

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