फर्रुखाबाद: जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर रविवार को शहर में शानोशौकत के साथ जुलूसे मोहम्मदी निकाला गया। हजारों की तादात में लोग इसमें शामिल हुए। इस बार काफी संख्या में ख्वातीन भी जुलूस देखने को सड़कों पर मौजूद नजर आईं। जुलूस में नात व मनकबत का आयोजन किया गया। तमाम मजहबी तंजीमों के रहनुमा और उलेमा इकराम ने जुलूस में शिरकत की। हुजूर की यौमे पैदाइश के मौके पर आशिके रसूल जश्ने ईद मिलादुन्नबी मनाते हैं।
दरगाह हुसैनिया मुजीबिया के सज्जादानशीन कारी शाह फसीह मुजीबी ने नबी की सीरत पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि रसूल तो सारी दुनिया के लिए रहमत बन कर आए थे। उनकी रहमत किसी मुल्क या किसी कौम के लिए मखसूस नहीं थी। उन्होंने पैगाम दिया था कि किसी का दिल न दुखाना नहीं तो मेरे दिल को ठेस पहुंचेगी। जुलूस का आगाज मस्जिद काजी साहब से हुआ और अंजुमन स्कूल पहुंचकर जलसे में तब्दील हो गया। तकरीर के दौरान मौलाना ने फरमाया कि हमें हर वक्त हुजूर की बारगाह में दुरुद-ए-पाक पढ़ते रहना चाहिए। अल्लाह का शुक्रियादा करना चाहिये कि उसने हमें हुजूर की उम्मत में पैदा किया। जलसे के आखिर में मौलाना ने मुल्क में अमनो-अमान व कौम की तरक्की के लिए दुआ कराई।
पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की विलादत(ईद मिलादुन्नबी) के मौके पर शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया। युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने उल्लास भरे माहौल में इस्लामी परचम और पूरी अकीदत के साथ शिरकत की। जुलूस के दौरान सरकार की आमद है मरहबा-मरहबा, महबूब की आमद मरहबा-मरहबा.. की सदाएं बुलंद होती रहीं। टाउन हाल से अंजुमन स्कूल तक बाइक जुलूस भी निकाला गया|