बीजेपी के नए जिलाध्यक्षों के जरिये सधेगा जातीय समीकरण

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लखनऊ: भाजपा का संगठनात्मक चुनाव चल रहा है। पहली बार बूथ स्तरीय कमेटियों के गठन के बाद भाजपा मंडलों की समिति गठित करने में जुटी है। तीसरे चरण में भाजपा की संगठनात्मक 98 जिला इकाइयों के अध्यक्ष निर्वाचित होने हैं। मंडल और जिलाध्यक्षों के चयन में सामाजिक संतुलन बनाने के साथ ही भाजपा युवाओं को महत्व देगी।
उप चुनाव समाप्त होने के बाद भाजपा का अब पूरा फोकस संगठनात्मक चुनाव पर है। दीपावली और भैयादूज के बाद उप चुनाव वाले जिन क्षेत्रों में मंडल अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो सका है, वहां चुनाव होंगे। इसके बाद मंडल समितियों की घोषणा होगी। नवंबर-दिसंबर माह में जिलाध्यक्षों के चुनाव होने हैं। इस बार भाजपा ने 98 संगठनात्मक जिले बनाये हैं। भाजपा की कोशिश यही है कि चयन प्रक्रिया में युवाओं और सभी जातियों को अवसर मिले। प्रदेश में अब 1918 संगठनात्मक मंडल हैं।
प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने संगठनात्मक कसौटी पर खरा साबित होने वाले युवाओं को आगे लाने की रणनीति बनाई है। प्रदेश के एक लाख 63 बूथों में पहली बार चुनाव के जरिये समितियां गठित हुई और इसमें युवाओं को मौका देने के साथ बूथ क्षेत्र में रहने वाली सभी जातियों को प्रतिनिधित्व दिया गया। उप चुनाव की वजह से छह हजार बूथों पर गठन बाकी रह गया है। इसकी भी प्रक्रिया शुरू होगी। भाजपा ने चुनावी प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए 31 हजार 655 सेक्टर, मंडल, जिला चुनाव अधिकारी और सह चुनाव अधिकारी लगाये थे। अब मंडल और जिलों में तैनात चुनाव अधिकारी अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।