फर्रुखाबाद: जहाँ जिला अधिकारी सेम्फेल गाँव गाँव और घर घर जाकर जनता को सरकार द्वारा दी जा रही सरकारी योजनाओ की जानकारी देकर जनता को उनका हक दिलाने में जुटे हैं वहीँ निचले स्तर का सरकारी अमला बड़े अधिकारिओ के उदेश्यों को फेल करने में अपनी जी जान लगाये हैं| राजेपुर ब्लाक के प्राथमिक पाठशाला बड़ा गाँव की इंचार्ज सहायक अध्यापक रश्मि अरोरा पिछले दो दिन से स्कूल से नदारद है और घर बैठ मिड डे मील प्राधिकरण को आईवीआरएस पर 85 बच्चो को खाना बनने की फर्जी सूचना दे दी|
शुक्रवार दिनांक 11 मार्च 2011 को सुबह लगभग 11 बजे जब जेएनआई का प्रतिनिधि प्राथमिक पाठशाला पंहुचा तो केवल एक शिक्षा मित्र सत्यदेव को लगभग 40-50 बच्चो को घेरे हुए पाया| विद्यालय में कुल 129 छात्र पंजीकृत हैं जिसके सापेक्ष कुल 50 से कम बच्चे मौके पर मौजूद थे| दूसरा शिक्षा मित्र भी मौके पर नहीं था| विद्यालय में तैनात एकमात्र परिषदीय शिक्षिका इस माह केवल 3 दिन स्कूल पहुची| जिलाधिकारी की सख्ती के चलते शिक्षिका का विद्यालय से गायब रहने की आदतों का भी खुलासा हो गया| नए आदेशो के तहत शिक्षा मित्र और शिक्षक एक ही हाजिरी रजिस्टर पर उपस्थिति दर्ज करेंगे| संलग्नित विद्यालय का हाजिरी रजिस्टर का चित्र देख कर हकीकत देखिये- रश्मि अरोरा पहली मार्च से 6 मार्च के बीच स्कूल नहीं पहुची| 7,8,9 मार्च को रश्मि के हाजिरी रजिस्टर पर मौजूद हस्ताक्षर और पिछली तारीखों के खाली कालम फर्जीवाड़े की तयारी की और इशारा करते है| यदि शिक्षिका ६ मार्च से ९ मार्च स्कूल आई और हाजिरी रजिस्टर पर पिछली तारीखों पर कुछ न कुछ दर्ज होना चाहिए था| चाहे अवकाश या फिर उपस्थिति| कालम का खाली रखना इस बात कि और इशारा है शिक्षिका इन तारीखों में स्कूल में नहीं थी और ये खाली कालम माह के अंत में भरे जायेंगे| जिनमे पूरी हाजिरी के साथ वेतन निकलेगा|
दूसरी बात सो सबसे ज्यादा चौकाने वाली है वो मिड डे मील का मामला है| मैडमजी मिड डे मील का रजिस्टर अपने साथ रखती है और उनके अलावा किसी दूसरे को इस रजिस्टर पर कुछ भी अंकित करने का अधिकार नहीं है| जिन दिनों मैडम स्कूल में नहीं होती है शिक्षा मित्र एक रफ कापी पर वास्तविक हिसाब लिखते है कि कितने बच्चों ने खाना खाया और कितना राशन आया| उसके बाद मैडम और प्रधान जी के बीच समझौता के अनुसार इसकी संख्या तय होकर लिखी जाती है| ये सरासर फर्जीवाड़ा नहीं तो और क्या है कि आज मैडम जी स्कूल में नहीं थी और मध्याह भोजन प्राधिकरण को उन्होंने 85 बच्चो द्वारा खाना खाने की सूचना दे दी| नियमानुसार जब शिक्षक स्कूल में नहीं होगा तो उसका सहायक या शिक्षा मित्र ये सूचना प्रेषित करेगा| मगर मैडम जी पोल खुलने के डर से ये सूचना भी खुद देती हैं|
सम्बन्धित अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान
स्कूल की इस हकीकत से रूबरू करने के लिए जे एन आई प्रतिनिधि ने सबसे फ़ोन राजेपुर ब्लाक के सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी नागेन्द्र चौधरी को किया और सूचना दी तो चौधरी साहब ने इसे न केवल हलके में लिया बल्कि ये जबाब दिया कि ये तो चलता ही है, मेरे बस में कुछ नहीं|
मगर सबसे चौकाने वाला जबाब विद्यालय की सम्बन्धित तहसील अमृतपुर के एसडीएम आर बी वर्मा को किया तो उनसे मिला था- “शिक्षा विभाग जाने”| अभी हाल में राजस्व वाले एक शिक्षिका के पति की मौत का दंश झेल रहे है तो इतना घबराए हुए है कि अपनी जिम्मेदारियो को निभाने से बचते घूम रहे है| ऐसे में एक अकेले जिलाधिकारी रिगजिन सेम्फेल बिगड़ी व्यवस्था को कितना सुधार पाएंगे यक्ष प्रश्न है|