Thursday, December 26, 2024
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बेचारी बिटिया- दिन डूबा बोतल पकड़ी चली खेत की ओर

फर्रुखाबाद: काश कमोवेश ये हाल पूरे उत्तर प्रदेश का न हो जैसा कि फर्रुखाबाद जनपद के नवाबगंज ब्लाक के गाँव गुठिना का है| सुबह हो शाम गाँव के पुरुष महिलाये और बहु बेटियों को एक एक बोतल पकडे खेत की ओर जाते देखा जा सकता है| ज्यादातर ग्रुप में और जब ग्रुप न हो तो नितांत असुरक्षित अकेले|दरअसल यहाँ शौचालय या तो कागजो में बने है या फिर ज्यादातर अपूर्ण| इस बात की चार बार शिकायत इसी गाँव के निवासी ने की तो शिकायत बिना जाँच के निपटा दी गयी| जब शिकायतकर्ता पीछे पड़ गया तो एडीओ ने बुधवार को गाँव में लाव लश्कर के साथ जाकर जाँच शुरू कर दी| मीडिया के सवाल पर जबाब मिला कि जो सक्षम थे उन्हें नहीं दिए इसलिए शिकायत कर रहे है| कमाल है जबाब में शौचालय में गड़बड़ी है या नहीं इसका जबाब नहीं दिया| हाँ इतना जरुर दिया पत्रकार महोदय आप तो समझते हो ऊपर तक जाता है…| लगता है इसीलिए जनता अब कानून हाथ में लेने लगी है|

चार महीने पहले मंचो पर इलेक्शन मोड में मोदी आंकड़े गिना रहे थे, कितने करोड़ शौचालय बनबा दिए…. बहु बेटियों को अब अँधेरा होने का इन्तजार नहीं करना पड़ेगा| ये आंकड़े प्रधानमंत्री के पास किसने भेजे जरा इस पर भी गौर कर ले| वेबसाइट के रिकॉर्ड के हिसाब से गुठीना गाँव में 468 शौचालय बने होने का आंकड़ा मय तस्वीर के दर्ज है| मगर हकीकत ये है कि किसी में छत नहीं तो किसी में दरवाजे नहीं, कहीं दो-दो शौचालय में सोकपिट गड्डा पार्टनरशिप में बना दिया तो कहीं वो भी गायब| शौच के लिए टंकी होना तो दूर की कौड़ी| मगर आंकड़ो में सब है तभी तो मोदी, शाह और भाजपा के नेता चुनाव में गा रहे थे कि अब बहु बेटियों को शौच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता| मगर हकीकत ये है कि  12000 रुपये शौचालय का वाही हाल है जो प्रधानमंत्री आवास योजना का जिसमे 50 हजार की रिश्वत राशि की गारंटी के बाद ही आवास स्वीकृत होता है|

गुठिना गाँव में जाँच के दौरान एडीओ साहब लाव लश्कर के साथ नए और पुराने दोनों ग्राम सचिवो के साथ पहुचे थे| एक प्रेरक और एक चपरासी उनकी सहायता के लिए था| सूची बन रही थी कि किसके घर में शौचालय है और किसके घर में नहीं| जब जिला ओडीऍफ़ हो गया है तो शौचालय तो सबके घर में होना चाहिए| तब सूची में नहीं बना, नहीं बना क्यों लिखा है? छत नहीं, प्लास्टर नहीं, शीत टूटी, गड्डा नहीं, टंकी नहीं ऐसे मामले जरुरत से ज्यादा है| गाँव में लोग जागरूक हो गए है| इन्टरनेट मोबाइल पर चलाकर आंकड़े निकाल लेना और उन्हें भौतिक रूप से मिलान कर लेना सब आने लगा है| एडीओ साहब ने बताया कि पहले सक्षम लोगो ने गड़बड़ी की शिकायत की थी बाद  में  समझौता ग्राम सचिव से करवा दिया एक शौचालय सक्षम लोगो को भी दे दिया| यानि एक गलती छिपाने के लिए दूसरी गलती कर बैठे| फिलहाल गाँव सुबह शाम मोर्निंग वाक बोतल लेकर कर रहा है| लोटा का जमाना चला गया, कोल्ड ड्रिंक की बोतल से काम चला रहा है| और फर्रुखाबाद के सांसद चुनाव जीत चुके है, भले आदमी है किसी का कुछ बिगाड़ने में विश्वास नहीं रखते| यही कमजोरी किसी बिटिया को कहीं अंधियारे उजियारे भारी न पड़ जाए इस पर कभी चिंतन भी नहीं करते| अब जाँच चल रही है| दो तीन दिन चलेगी कागजो के 468 शौचालय तलाशने में….|

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