Sunday, January 12, 2025
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एग्जिट पोल- फर्रुखाबाद में बदलाव की सम्भावना नहीं दिखी

FARRUKHABAD LOKSABHA POLL by JNI

बहुत घूमा, अंदरखाने के राज जानने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाये, जनता कहिन विडियो सीरीज चलाकर खूब वोटर को कुरेदा और दोस्त दुश्मन सब तरफ जीवन की आस पाने के अंदाज में चुनावी परिणाम करने की कोशिश करते हुए पिछले 40 दिन कैसे कटे ये या तो हम जानते है या फिर वो| यकीन मानिये 23 अप्रैल को मतदान के दिन से आज तक हर मिलने वाले से लेकर चुनाव लड़ने वाले ने भी पूछा और पुछवाया कि भैये जेएनआई वालो से पूछो जीत का अंतर कैसा रहेगा| मतलब कि हार तो चाबी वाले प्रत्याशी ने भी नहीं मानी जिसका ताला ही लोग कुंडे सहित उखाड़ ले गए| खैर मतलब की बात पर आइये|संसद में फर्रुखाबाद कौन नुमाइंदगी करने वाला है| बड़े पैमाने पर किये गए सर्वे में कुल मिलाकर बदलाव बदलाव की सम्भावना नजर नहीं आई|

यकीन नहीं आता तो एक बार फिर से जनता कहिन के सभी बीस एपिसोड देख डालिए| जबाब उसी में छिपा था| चुनाव आयोग का डर न होता तो कब का खुल्लमखुला बता देता| अगर आप एप में पढ़ रहे है तो नीचे विडियो में क्लिक करिए और देख डालिए| सारा सर्वे वहां हुआ, जहाँ भाजपा का गढ़ नहीं था| जिले के लगभग हर कोने में गए मगर भाजपा के गढ़ वाले न तो मोहल्ले में गए और न ही गाँव कस्बे में| हालाँकि फाइनल रिकॉर्ड ईवीएम में कैद है मगर जो कैद है उसे बदलने की सम्भावना नहीं है| इसलिए जान लीजिये समर्थक हो या विपक्षी एक बार फिर से मोदी को ही झेलना है|

मुझे मालूम है कि समर्थक इसे ट्रोल करेंगे और विपक्षी आलोचना| कमेंट बॉक्स में सभी प्रकार की टिप्पणियों का आमंत्रण है मगर गाली भी अगर दीजिये तो भी फर्रुखाबादी मिजाज दिखाइए, जरा शालीनता से| हम प्रकाशित कर देंगे|

जहाँ जहाँ भी हमने सर्वे किये जनता की आवाज को हूबहू पेश कर दिया| भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी को जनता ने बुरा भला कहा था, हमने अभद्र टिप्पणियों को निकाल कर पेश कर दिया| गुस्सा था, मगर दिमाग में मोदी घुसा था| पक्ष और विपक्ष दोनों के दिमाग में| असल में फर्रुखाबाद में भाजपा और वर्तमान सांसद मुकेश राजपूत कहीं चुनाव लड़ ही नहीं रहे थे| चुनाव में जनता ये भी बोल रही थी- वोट सलमान को देंगे/वोट मनोज अग्रवाल को देंगे मगर जीतेंगे मोदी ही| ये कहाँ से आ रहा था, उनके दिमाग में किसने भरा था हमें नहीं मालूम, मगर भरा था| अपवाद स्वरुप यादव बाहुल्य और मुस्लिम बाहुल्य बस्तियों में भी बहुत कम लोगो ने मोदी को हारते हुए कहा|

फर्रुखाबाद की चार विधानसभा के साथ अलीगंज क्षेत्र में हमने कुछ इलाका ही कवर किया| चुन चुन के ठिकाने तलाशे और इनमे चौकाने वाले समीकरण दिख रहे थे| मसलन मोहम्दाबाद के राजेन्द्र नगर गाँव में हमें बताया गया कि वे गठबंधन के साथ है तो आसपास के गाँव में ऐसे हालात नहीं थे| एक बात और कि ये भविष्यवाणी नहीं है| केवल सर्वेक्षण है| और सर्वेक्षण और परिणाम में फरक हो सकता है| इसलिए 4 दिन और सभी जीतिए| हाँ वोटर बूथबार टर्नआउट का आंकलन भी करिए| क्योंकि पिछले 2014 चुनाव में कायमगंज में बड़े बड़े माठाधीशो के बूथ पर ही रिश्तेदार हारे थे और छापने पर जेएनआई को गरियाये थे| सफाई में अपना बूथ ही बदल कर बता रहे थे| छपेंगे इस बार भी, वे नहीं तो दूसरे| जिन जिन प्रधानो ने 50-50 हजार लिए थे मीटिंग कराने के नाम पर हिसाब उनका भी होगा| कुलमिलाकर गठबंधन जिस जातिगत आंकड़े को मिलाकर बनाया गया था उसमे रसायन शास्त्र के नियम नहीं चले| सपा बसपा गठबंधन आयुर्वेदिक और एलोपेथिक फार्मूले को मिक्स कर नया चवनप्राश बनाने की कोशिश थी, फर्रुखाबाद में फेल ही दिखी| प्रत्याशियो के बारे में जनता क्या सोचती है और क्या कहती है इस पर टिपण्णी चुनाव परिणाम के बाद| खुद के आंकलन में भले ही आप सही हो मगर अक्श का नूर आइना ही बताता है| शेष अगले अंक में….

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