Monday, December 23, 2024
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घरेलू महिला हिंसा रोंकने का भी काम करेंगी आशा

फर्रुखाबाद: महिलाओं के साथ घर में होने वाले शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और यौन हिंसा को रोंकने का जिम्मा अब आशाओं को दिया गया है| आशाओं को प्रशिक्षण देकर गृह भ्रमण के दौरान अपने जिम्मेदारी का निर्वाहन करेंगी|
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजेपुर और कमालगंज में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के प्रति उनको जागरुक करने में आशाओं की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए आशाओं को जागरूक किया गया| राजेपुर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ0 प्रमित राजपूत ने बताया कि महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के विभिन्न शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दुष्परिणाम होते हैं | महिलाएं लगातार अपने अधिकारों और हितों से वंचित रह जाती हैं, सार्वजनिक एवं राजनीतिक मंचों पर उनका प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता है एवं निर्णय लेने के पदों पर पहुँचने के अवसर घट जाते हैं | स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाओं तथा रोजगार अवसरों तक उनकी पहुँच भी सीमित हो जाती है | उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से आशाओं द्वारा धरातल स्तर पर किशोरियों एवं महिलाओं को उनके साथ होने वाली हिंसा के प्रति जागरुक करने का प्रयास किया जायेगा |
कायमगंज के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अखिलेश कुमार ने बताया कि आशाएं अपने समुदाय की महिलाओं के निकट होती हैं और उनके साथ पहले से ही उनका तालमेल बना रहता है| इसकी वजह से आशाएं ऐसी महिलाओं को आसानी से पहचान सकती हैं जिन्हें हिंसा का कोई खतरा है या जो किसी प्रकार की हिंसा का सामना कर रही हैं| उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण उपरांत आशाएं अपने समुदाय में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के मुद्दों को पहचानने और उसमे हस्तक्षेप करने में मदद करेंगी |
स्वास्थ्य केंद्र कायमगंज के डॉ० दीपेन्द्र अवस्थी ने बताया कि वर्तमान समाज में महिला हिंसा एक गंभीर समस्या है| इसकी जड़ें सामजिक ढांचों में है और समाज के सभी वर्गों में फैली हुई है | हर उम्र, वर्ग, धर्म, संस्कृति, जाति, इलाके व शैक्षिक स्तर की महिला इससे प्रभावित होती है |
महिलाओं के साथ भेदभाव का सिलसिला उनके जन्म से पहले ही शुरू हो जाता है, जहाँ लड़कियों के मुकाबले लड़कों को ज्यादा महत्व दिया जाता है जिसके परिणाम स्वरूप हम लिंग चयन आधारित भ्रूण हत्या के मामले देखते हैं | ये भेदभाव और सामाजिक दर्जे में असमानता महिलाओं पर होने वाली हिंसा के मूल कारण हैं |
आशाओं की भूमिका पर चर्चा करते हुए प्रशिक्षकों ने बताया कि एक आशा को अकेले इस मुद्दे पर काम करना मुश्किल होगा | इसलिए ग्राम स्तर पर गठित महिला समूहों, ग्राम स्वास्थ्य समिति, महिला पंचायत, सामाजिक सहायता समूहों व कार्य क्षेत्र की आशाओं का समूह बनाकर हिंसा के खिलाफ काम करने के लिए समर्थन जुटा सकती हैं | इसके साथ सभी आशाओं को महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए कानूनी उपायों से भी अवगत कराया गया |
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदाबाद के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी कृष्ण कान्त मिश्र, प्रशिक्षक संजीव पांडे, नेहा शुक्ला, नीता, नीतू सहित आशा बहुएँ मौजूद रही |

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