Tuesday, December 24, 2024
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कई वर्षो बाद ख़ामोशी से हुआ मतदान सम्पन्न, पोलिंग पार्टियाँ वापस आना शुरू

फर्रुखाबाद: 36 घंटे की थका देने वाली चुनावी ड्यूटी ख़त्म करके मतदान कर्मी अब वापस रवाना होने लगे है| ये सभी अपने अपने सामान और मशीन के साथ सातनपुर मंडी पहुचेंगे और ई वी एम् जमा कराएँगे| जहाँ इन्हें स्ट्रोंग रूम में रख सील कर दिया जायेगा और 23 मई को खोला जायेगा| लगभग एक माह की चिल्ल पो के साथ मतदान शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गया|

वैसे 2019 का लोकसभा चुनाव काफी सुर्खियों भरा रहा| न कोई खास गड़बड़ी और न ही कोई बड़ी वारदात| ये तह्सीर है फर्रुखाबादी मिजाज की| ये भी समझने की बात है| यहाँ के नेता और जनता बाकई में बधाई के पात्र है| मगर जब जब किसी बाहरी नेता ने फर्रुखाबाद में घुसपैठ करने की कोशिश की जिले की शांति में खलल जरुर पड़ा|

अगर पिछले तीन लोकसभा चुनावो का ही विश्लेषण कर ले तो 2019 का चुनाव सबसे शांतिपूर्वक लिखा जायेगा| 2009 के चुनाव में हरदोई के नरेश अग्रवाल फर्रुखाबाद से बहुजन समाज पार्टी की टिकेट पर किस्मत आजमाने आये थे| हरदोई के रंग ढंग में चुनाव लड़ना चाहते थे| भाषणों में खुद को अजेय नरेश बताते थे| कटुता भरे भाषणों को फर्रुखाबाद की जनता ने नकार दिया और सलमान खुर्शीद को सांसद बना दिया| ऐसे ही 2014 का चुनाव एटा जनपद के रामेश्वर सिंह यादव के समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने पर हुआ| रामेश्वर के खिलाफ उन्ही की पार्टी के सचिन ने निर्दलीय चुनावी ताल ठोक दी| खूब मुकदमे लिखे गए| दोनों ओर से खूब तल्खी हुई और फर्रुखाबादी जनता ने अपना फैसला सरल और सौम्य स्वभाव के मुकेश राजपूत  पक्ष में सुना दिया|

वर्ष 2019 के चुनाव में कोई बाहरी प्रत्याशी नहीं था| फर्रुखाबादी जनता को फैसला घर के तीन प्रत्याशी में करना था| मनोज अग्रवाल, सलमान खुर्शीद और मुकेश राजपूत तीनो ही प्रत्याशी स्वभाव से सरल और सौम्य| शिक्षा दीक्षा को लेकर भले ही तीनो में अंतर हो मगर तीनो ही प्रत्याशी कभी दूसरे से बदले की भावना से काम करते नहीं देखे गए| किसी ने कुछ उल्टा सीधा कह भी दिया तो हस कर टाल गए और बात आई-गई कर गए| राजनैतिक सत्ता हथियाने के लिए पार्टी स्तर पर भले ही खूब तीर चले हो मगर जब कभी सामाजिक कार्यक्रम हुआ फर्रुखाबादी नेता एक मेज पर बैठे देखे गए| कुल मिलाकर जिला प्रशासन  लिए भी ये मुक्कदर की बात है कि वे ऐसे जिले में चुनाव करा रहे थे जहाँ बहुत तल्खियाँ नहीं थी| और न ही कोई प्रत्याशी ऐसा था जो अनुचित दबाब बनाता या रोज रोज शिकायतों की पोटली लिए जिला निर्वाचन अधिकारी के चक्कर लगाता| निष्कर्ष ये है कि वर्षो बाद ऐसा शांतिपूर्वक चुनाव फर्रुखाबाद में सम्पन्न हुआ है|

 हे ईश्वर मेरे शहर को बाहरी हवा बयार से बचाए रखना, बहुत नाजुक है यहाँ का माहौल, अपनी छत्र छाया बनाये रखना|

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