डेस्क:चुनावी मौसम में नेताजी संस्कारी हो गए हैं। बिना जोहार और प्रणाम-पाती के आगे नहीं बढ़ते। कई ऐसे भी हैं जो साल भर पहले तक ऐंठा रहे थे, आज बुला-बुलाकर बैठा रहे हैं। आखिर वोट का जो सवाल है। नगर के एक होटल में बैठे दो लोग चाय पी रहे हैं। तभी कार से नेताजी पहुंचते हैं। उन्हें देखकर दूर से ही कहते हैं भैया प्रणाम। क्या हाल-चाल है।
होटल में बैठे दोनों लोग भी कहते हैं प्रणाम भैया सब ठीक है। अपना बताइए इसके बाद नेताजी हाथ हिलाते हुए आगे बढ़ जाते हैं। दोनों आपस में चर्चा करने लगते हैं। एक कहता है मौसम बदल गया है। अब नेताजी काफी संस्कारी हो गए हैं। पहले तो पांव कार से नीचे उतरते ही नहीं थे। अब तो जहां मिलते हैं भैया से कम संबोधन ही नहीं करते। दूसरा कहता है सब वक्त वक्त की बात है भाई। वक्त जो न कराए। पहले नेता को प्रणाम करना पड़ता था। अब नेता हमें प्रणाम कर रहे हैं। चुनाव इसी को तो कहते हैं।