Tuesday, December 24, 2024
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWS10 फरवरी के बाद अयोध्या कूच व 21 को शिलान्यास का प्रस्ताव...

10 फरवरी के बाद अयोध्या कूच व 21 को शिलान्यास का प्रस्ताव पारित

कुंभ नगर:श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर के लिए शिलान्यास करने संतों व श्रद्धालुओं का जत्था वसंत पंचमी के बाद रवाना होगा। सभी अयोध्या पहुंचकर फाल्गुन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर 21 फरवरी को मंदिर के लिए विधि-विधान से शिलान्यास करेंगे। यह निर्णय कुंभनगरी प्रयाग में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में चल रही परमधर्म संसद में लिया गया।
जेल जाएंगे, गोली खाने को तैयार : स्‍वामी स्‍वरूपानंद
गंगा सेवा अभियानम् के शिविर में चल रही तीन दिवसीय परमधर्म संसद के अंतिम दिन बुधवार को शंकराचार्य ने कहा कि राम मंदिर के लिए जेल जाना पड़ेगा तो जाएंगे, गोली खाने के लिए भी तैयार हैं। लेकिन राम मंदिर बनाकर ही रहेंगे।
कहा, किसी ने व्‍यवधान डाला तो बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा
शंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरूपानंद ने कहा कि राम मंदिर के कार्य में सत्ता के तीनों अंग में किसी ने व्यवधान डाला तो उसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। राम जन्मभूमि विवाद का निर्णय न होने तक व राम जन्मभूमि प्राप्त न होने तक हिंदू समाज चार इष्टिकाओं को अयोध्या ले जाकर वेदोक्त इष्टिका न्यास का पूजन करेंगे। यह काम अनवरत चलता रहेगा। शंकराचार्य ने कहा कि न्यायपालिका में राम मंदिर को लेकर निर्णय आने में विलंब होता देख संत व हिंदू धर्मावलंबी सरकार से उचित निर्णय की आस लगाए बैठे थे।
काशी की परमधर्म संसद में सरकार ने आश्‍वासन दिया था
शंकराचार्य ने कहा कि काशी में हुई परमधर्म संसद में सरकार से राम मंदिर निर्माण के लिए उचित कदम उठाने की अपील की गई थी। परंतु वैसा हुआ नहीं, प्रचंड बहुमत से सत्ता में आयी सरकार ने दो दिनों में संसद के दोनों सदनों में आरक्षण संबंधित विधेयक पारित कराकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। हालांकि श्रीरामजन्म भूमि में मंदिर निर्माण को लेकर कुछ भी करने व कहने से इन्कार कर दिया।
बोले, पीएम अपने बयान में काबिज नहीं रह सके
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा था कि न्याय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब उनकी बारी आएगी तब अपनी भूमिका का निर्वाहन करेंगे। हालांकि वह अपने बयान में काबिज नहीं रह सके। कल ही उन्होंने न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करवा दिया जिसमें 0.3 एकड़ अर्थात श्रीराम जन्मभूमि को छोड़कर 67 एकड़ अधिग्रहीत भूमि को मूल मालिकों को वापस देने की बात कही है। वह अधिग्रहीत भूमि को आवंटन कर देना चाहते हैं, जो अनुचित है। संचालन स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया।
अखाड़ों के महात्माओं ने दिया समर्थन
परमधर्म संसद में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का समर्थन करने अखाड़ों के महात्मा भी पहुंचे। निर्वाणी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि हिंदुओं से कोई ताकत छीन नहीं सकती। वह शंकराचार्य का पूरा साथ देंगे। जूना अखाड़ा के स्वामी आनंद गिरि ने कहा कि राम मंदिर को गुजरातियों के गैंग से मुक्त कराना है। स्वामी विश्वेश्वरानंद ने कहा कि नेता ठाठ में और रामलला टाट में नहीं रहेंगे। हम भालू-बंदर की तरह शंकराचार्य के आदेश का पालन करेंगे। वहीं मुस्लिम धर्म के विद्वान सेराज सिद्दीकी ने कहा कि वह तीनों दिन परमधर्म संसद का हिस्सा रहे हैं इसमें इस्लाम के बारे में कुछ नहीं कहा गया।
पारित हुए अनेक विधानक
परमधर्म संसद में अनेक विधानक पारित हुए। इसमें परमहंस दास ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण, हेमंत ध्यानी ने गंगा रक्षा, स्वामी शिवानंद सरस्वती ने पंचप्रयाग रक्षा, किशोर भाई दवे ने गोरक्षा, ब्रह्मचारी निरंजनानंद ने कुंभ मर्यादा रक्षा, आल्वरो एंतेरिया ने तीर्थ मर्यादा रक्षा, महाराजमणि शरण सनातन ने मंदिर रक्षा, स्वामी निजानंद गिरि ने धर्मांतरण रोकने, रमेश उपाध्याय ने हिंदू पर्सनल लॉ गठन, किशोर भाई दवे ने धाॢमक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप रोकने, प्रेमानंद ने नकली देवी-देवताओं पर कार्रवाई, डॉ. वाचस्पति त्रिपाठी ने अन्न-जल शुद्धिकरण, गार्गी पंडित ने विवाह संस्कार रक्षा, अनंत किशोर भट्ट ने संस्कृत रक्षा, ऋषिकेश वैद्य ने धर्मशिक्षा लागू करने का विधानक प्रस्तुत किया। संतों व श्रद्धालुओं ने उसे सर्वसम्मति से पारित करके केंद्र व प्रदेश सरकार से कार्रवाई की मांग की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments