फर्रुखाबाद, 25 फरवरी: चक्रानुक्रम आरक्षण के विषय में राज्य सरकार की ओर से जारी शासनादेश के अनुसार नगर पालिका फर्रुखाबाद के अध्यक्ष का पद लगभग तय है। पंचायतों की तरह निकायों में महापौर व अध्यक्ष पदों के आरक्षण में लागू चक्रानुक्रम के अनुसार पदों का आरक्षण अनुसूचित जाति की आबादी (प्रतिशत में) को ध्यान में रखते हुए 2006 से किया जाता है। चक्रानुक्रम आरक्षण में किसी भी निकाय का कोई भी पद प्रत्येक चुनाव में एक ही वर्ग विशेष के लिए आरक्षित नहीं रह सकता है। यदि किसी निकाय का अध्यक्ष पद एक चुनाव में अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग या फिर महिलाओं के लिए आरक्षित रहता है तो ठीक बाद वाले चुनाव में इन वर्गो के लिए आरक्षित नहीं रह सकता है।
नगर पालिका परिषद या फिर नगर पंचायत के अध्यक्ष पद सभी का आरक्षण एक ही तरह से किया जाएगा। आरक्षण के मामले में प्रत्येक नगर निगम की अनुसूचित जाति की आबादी को ध्यान में रखते हुए सर्वाधिक अनुसूचित जाति की आबादी वाले नगर निगम को सबसे ऊपर रखा जाएगा। उसके बाद के क्रम में अपेक्षाकृत कम अनुसूचित जाति की आबादी वाले निगम (अवरोही क्रम) रहेंगे। अनुसूचित जाति या पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किए जाने वाले पदों की संख्या पूर्व की भांति राज्य के नगरीय क्षेत्र में इन वर्गो की आबादी के समानुपात में रहती है। यद्यपि पिछड़े वर्ग के लिए 27 फीसदी से अधिक पद आरक्षित नहीं रह सकते हैं। इस तरह से निर्धारित पदों की संख्या को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जाति के लिए पद आरक्षित किए जाते हैं जिनमें इस जाति की आबादी अधिक होगी। अनुसूचित जाति के आरक्षित में से ऊपर के 33 फीसदी पद अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए रहते हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नगर निकायों के ठीक बाद वाले पदों को निर्धारित संख्या में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किए जाते हैं। इसमें भी ऊपर के 33 फीसदी पद पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए रहते हैं। इसके बाद वाले निकायों को निर्धारित संख्या में सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित रखा जाता है। सभी वर्ग की महिलाओं के लिए कुल 33 फीसदी से अधिक पद आरक्षित नहीं हो सकते हैं। यदि किसी वर्ग विशेष में एक ही पद आरक्षित रहता है तो वह उस वर्ग की महिला के लिए रखा जाता है।