Saturday, January 11, 2025
spot_img
HomePoliticsमहानाट्य: मंच पर होंगे हाथी, घोड़े और 250 कलाकार

महानाट्य: मंच पर होंगे हाथी, घोड़े और 250 कलाकार

कानपुर:पिछले तीन दशक में अबतक विश्व में 1100 से अधिक बार मंचन के बाद उत्तर प्रदेश की धरती पर कानपुर एक से महानाट्य का गवाह बन रहा है, जो आने वाले पीढ़ी के लिए यादगार होगा। छत्रपति शिवाजी के जन्म से लेकर छत्रपति बनने तक की ऐतिहासिक गौरव गाथा महानाट्य ‘जाणता राजा’ का भव्य मंचन शहर में चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय परिसर में बने भव्य मंच पर हो रहा है।
महाराज शिवाजी के जीवन के माध्यम से भारतीय संस्कृति, संस्कार और सद्चरित्र को समाज तक पहुंचाने के उद्देश्य से महानाट्य कड़ीवार प्रस्तुति होगी। प्रतिदिन तकरीबन सात हजार लोग इसके साक्षी बनेंगे। छह दिन में 42 हजार लोग नाटक देखेंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य का उत्तर प्रदेश में पहली बार कानपुर की धरती पर मंचन हो रहा है। यहां पर दो लाख वर्गफीट के रंगमंच पर 250 कलाकार प्रस्तुति देंगे, साथ ही हाथी, घोड़े व बैलगाड़ी का भी प्रयोग होगा।महाराजा शिव छत्रपति प्रतिष्ठान ट्रस्ट पुणे के इस महानाट्य की शुरुआत आज से 30 वर्ष पहले हुई थी। ट्रस्ट की स्थापना शिवाजी के वंशजों ने की थी। उस वक्त इसे मराठी में प्रस्तुत किया जाता था। 13 वर्ष पहले हिंदी में रूपांतरित कर इसका मंचन शुरू किया गया। अमेरिका-इंग्लैंड सहित अन्य देशों में अब तक इसके दस हजार से ज्यादा शो हो चुके हैं। लाखों लोग इसकी प्रशंसा कर चुके हैं।
महानाट्य में संवाद नहीं भाव प्रदर्शन ही इसकी विशेषता
एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरे नंबर के इस महानाट्य जाणता राजा की विशेषता यह है कि इसका मंचन एक साथ 250 कलाकार करते हैं। खास बात ये है कि किसी भी कलाकार को संवाद नहीं बोलने होते। सिर्फ भाव प्रस्तुत करना होता है। संवाद पाश्र्व में चलते हैं। सभी कलाकार किसी न किसी व्यवसाय से जुड़े हैं। नाट्य मंचन उनका शौक और वीर शिवाजी के प्रति समर्पण है।
जाणता राजा का अभिप्राय
जाणता राजा गुरु समर्थ रामदास का अपने शिष्य शिवाजी को दिया गया विशेषण है। शिवाजी के कार्यों, निभाई गई जिम्मेदारियों और सामाजिक राजनीतिक भूमिकाओं में उभरी उनकी चारित्रिक गरिमा को शब्द देने के लिए साहित्यकारों, सहयोगियों और उनके प्रियजनों ने भिन्न संबोधनों का प्रयोग किया। इस विशेषण के जरिए शिवाजी के व्यक्तित्व, स्वभाव और चरित्र को संज्ञा देने का प्रयास है।
छत्रपति शिवाजी के जीवनकाल पर है महानाट्य
सन् 1630 का वह दौर जब महाराष्ट्र की सरजमीं पर महानायक ने जन्म लिया। शिवनेरी दुर्ग में उदित वह आभा, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जाना गया। भारत के इतिहास का ऐसा महान योद्धा, जिसने पूरे देश पर अमिट छाप छोड़ी। एक कुशल संचालक और सक्षम प्रशासक, ऐसा व्यक्तित्व जिसमें अपने विशाल साम्राज्य को संचालित करने की असाधारण खूबियां थीं। जिसे नौसेना का जनक और गोरिल्ला युद्ध का आविष्कारक कहा जाता है। रणनीति के साथ-साथ उनकी दूरदृष्टि, वीरता, गुण और ज्ञान के किस्से सदियों बाद भी उतने ही महत्वपूर्ण और प्रेरणादायी हैं। वह शख्सियत जिसने हर प्रकार के विदेशी सैन्य व राजनीतिक प्रभाव से मुक्ति का प्रणेता बनकर ‘हिन्दवी स्वराज’ को ऐसा नारा बनाया, जिसके बल पर संपूर्ण भारतवर्ष ने एकजुट होकर अफगानों, मुगलों, पुर्तगालियों और अन्य विदेशी मूल के शासकों की हुकूमत का विरोध किया। इन्हीं जाणता राजा (दूरदर्शी राजा) वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवनकाल पर महानाट्य की रचना की गई है।
दो लाख वर्ग फीट का चार मंजिला बना है रंगमंच
सीएसए कृषि विश्वविद्यालय में दो लाख वर्ग फीट के दायरे में चार मंजिला रंगमंच तैयार किया गया है। इसमें मराठा साम्राज्य का दरबार नजर आएगा और अभूतपूर्व अभिनव प्रदर्शन लोगों को एक अनोखी समय यात्रा का अनुभव देगा। अद्वितीय साज-सज्जा, आकर्षक प्रकाश और उत्कृष्ट संगीत से सुसज्जित वह प्रस्तुति जो अमिट किस्से-कहानियां खुद में समेटे हुए है। ये न सिर्फ वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवनकाल से रूबरू कराएगी बल्कि युवाओं को उनके नियमों, आदर्शों और विचारों से प्रेरित करेगी। इतिहासकार बाबा साहब पुरंदरे द्वारा रचित इस महानाट्य में शिवाजी महाराज के जन्म से लेकर राज्याभिषेक तक घटी घटनाओं का तकरीबन 250 कलाकार मंचन करेंगे। इसमें सौ कलाकार कानपुर के भी शामिल हैं।
हाथी-घोड़े और ऊंट भी होंगे
हाथी-घोड़े और ऊंट भी महानाट्य का हिस्सा बनेंगे। इसके लिए आयोजन समिति ने बाकायदा एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया से अनुमति ली है। इसमें एक हाथी, छह घोड़े, छह ऊंट और एक बैलगाड़ी होगी। आपात स्थिति से निपटने के लिए मेडिकल कैंप और फायर बिग्रेड भी होगी।
भव्य डिंडी जुलूस से होगी शुरुआत
डिंडी जुलूस दर्शकों को 16वीं शताब्दी के उस दौर से रूबरू कराएगा, जिसमें वीर शिवाजी का जन्म हुआ। हाथी, घोड़े और ऊंट से सजे जुलूस की भव्यता एकदम जीवंत होगी। एक दौर ऐसा भी आएगा जब मराठा साम्राज्य पठानों का मुकाबला करेगा। लाइट एंड साउंड के माध्यम से इसकी प्रस्तुति अलौकिक बनाने का प्रयास किया गया है। मराठा संगीत की एक विधा लावणी उत्सव का माहौल बनाएगी। शिवाजी महाराज का जन्म होगा तो महाराष्ट्र की प्रसिद्ध लोक कला गोंढाल की प्रस्तुति मन मोह लेगी। कहानी आगे बढ़ेगी और छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व से रूबरू कराती हुई राज्याभिषेक तक का सफर तय करेगी।
शिवसृष्टि थीमपार्क के निर्माण में लगता है आय का हिस्सा
जाणता राजा महानाट्य का मंचन देखने के लिए दर्शक जो टिकट लेते हैं उसकी आय एक हिस्सा शिवसृष्टि थीमपार्क में लगता है। पुणे से 11 किलोमीटर दूर अम्बे गांव में इसका निर्माण किया जा रहा है। एक ऐसा विराट धरोहर स्थल जो मराठा साम्राज्य की महिमा को प्रतिबिंबित करेगा। आयोजन की सह संयोजक नीतू सिंह कहती हैं कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में 20 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक चलने वाले आयोजन के टिकटों से होने वाली आय के दूसरे हिस्से को कानपुर में जनसहयोग से बनने वाले अस्पताल में लगाया जाएगा। यह अस्पताल ट्रस्ट का होगा जो सस्ते दाम पर अच्छा इलाज उपलब्ध कराएगा। प्रचार प्रमुख अविनाश चतुर्वेदी ने बताया कि जाणता राजा की प्रस्तुति का उद्देश्य युवाओं को उनके आदर्शों और विचारों से प्रेरित करना है।
वीर शिवाजी, एक परिचय
शिवाजी महाराज का जन्म महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित भोसले परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम शिवाजी राजे भोसले था। उनके पिता शाहजी भोसले बीजापुर के आदिलशाही सल्तनत के मनसबदार थे जो बाद में राजा बने। माता जीजाबाई विदुषी, वीरांगना, धर्मपरायण और राजनीति में पारंगत महिला थीं। शिवाजी की राजनीतिक गुरु भी उनकी मां थीं। चौदह वर्ष की आयु में शिवाजी ने स्वराज्य के लिए शपथ ली थी। उनके कुशल प्रशासन का ही उदाहरण कि अपने 36 वर्ष के शासन काल में उन्होंने सिर्फ 6 वर्ष युद्ध में बिताए। बाकी 30 वर्ष सुदृढ़ व उत्तम शासन पद्धति विकसित करने को समर्पित किए। एक समय में उनके अधीन 300 से ज्यादा गढ़ थे। शिवाजी महाराज को नौसेना का जनक इसलिए माना जाता है क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले समुद्री खतरे को रोकने के लिए नौसेना का गठन किया था।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments