अनोखी पहल:सरकार और समाज के बीच फंसी आस्था को नया रास्ता

FARRUKHABAD NEWS धार्मिक सामाजिक

फर्रुखाबाद:सरकार ने गंगा में गणपति का विसर्जन करने के पाबंदी लगा रखी है| जिसके चलते अब मूर्तियों का गंगा में जल विसर्जन नही बल्कि भू-विसर्जन किये जाने की परम्परा पड़ गयी है| इस परम्परा के पीछे गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की योजना भी है| इस सरकार और समाज के बीच फंसी आस्था को कायम रखने का नायब तरीका कुछ लोगों ने निकाला| समाज को इनसे सीख लेने की जरूरत है|
नगर के मोहल्ला नुनहाई स्थित विशम्भर दयाल धर्मशाला में बीते 13 सितम्बर को श्रीगणेश की मिट्टी की प्रतिमा कुम्हारों से बनबायी गयी| इसके बाद उन्हें समाज को नया संदेश देने के लिये स्थापित किया गया| 10 दिन तक गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना की गयी| इसके बाद शनिवार को विसर्जन की तैयारी हुई| श्रद्धालुओं ने प्रतिमा को बैंडबाजा के साथ मोहल्ले में घुमाया| इस दौरान सभी जमकर थिरके| शोभायात्रा के बाद प्रतिमा को मोहल्ले के चौराहे पर एक मेज पर रखा गया| विधि-विधान से पंडित हिमांशु मिश्रा ने उसे दूध, घी व शहद से स्नान कराया| सभी श्रद्धालु अपने घरों से गंगा जल लाये उस गंगा जल को एक बड़े पात्र में एकत्रित किया गया| इसके बाद गणपति को उसमे विसर्जित किया गया|
आयोजक पवन अग्रवाल,सुनील दुबे आदि ने बताया कि इस प्रकार से प्रतिमा विसर्जन करने से गंगा का प्रदूषण तो बचेगा ही साथ ही आस्था के आगे मानवता तार-तार नही होगी| अक्सर देखा गया है कि जिस समय गणपति की शोभायात्रा सड़क पर निकलती है उस समय डीजे की तेज आवाज के सामने गम्भीर मरीज ले जा रही एम्बुलेंस की आवाज किसी को सुनाई नही देती| अभी आम जनता को जगह-जगह जाम का सामना करना पड़ता है| लेकिन यदि विसर्जन इस तरह से किया जाये तो कई समस्याओ से के साथ निपटा जा सकता है|(प्रमोद द्विवेदी)