Monday, December 23, 2024
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWSजाने कौन-सा रत्न कब धारण करें

जाने कौन-सा रत्न कब धारण करें

नई दिल्ली:ज्योतिष विद्या में रत्नों का भी अहम स्थान है। माना जाता है कि तंत्र, मंत्र और रत्न सभी का अपना-अपना कार्य होता है। इसमें रत्न ही एक ऐसा उपाय है, जिसे जातक आसानी से ग्रहण कर सकता है और इसके लिए कोई नियम आदि भी ज्यादा जटिल नहीं है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो रत्न का प्रभाव किसी भी प्रकार से कम नहीं है लेकिन उसका उपयुक्त ग्रह, राशि और समय होना चाहिए। अन्यथा रत्न जितना फायदा पहुंचा सकता है, उससे कहीं ज्यादा नुकसान भी दे सकता है।
-सूर्य को शक्तिशाली बनाने में माणिक्य का परामर्श दिया जाता है। कम से कम सवा पांच रत्ती या फिर अपने वजन के अनुसार माणिक को स्वर्ण की अंगूठी में, अनामिका अंगुली में रविवार के दिन पुष्य योग में धारण करना चाहिए।
– चंद्र ग्रह को मोती पहनने से शक्तिशाली बनाया जा सकता है। मोती कम से कम सवा तीन रत्ती का तो होना ही चाहिए, इसके चांदी की अंगूठी में शुक्ल-पक्ष सोमवार रोहिणी नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
-मंगल ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए कम से कम पांच रत्ती का मूंगा सोने या ताम्र की अंगूठी में मंगलवार को अनुराधा नक्षत्र में सूर्योदय से एक घंटे बाद तक के समय में पहनना चाहिए।
-बुध ग्रह का प्रधान रत्न पन्ना होता है, जो अधिकांश रूप में पांच रंगों में पाया जाता है। हल्के पानी के रंग जैसा, तोते के पंखों के समान रंग वाला, सिरस के फूल के रंग के समान, सेडुल फूल के समान रंग वाला, मयूर पंख के समान रंग वाला।
इसमें मयूर पंख के समान रंग वाला श्रेष्ठ माना जाता है, किंतु यह चमकीला और पारदर्शी होना चाहिए। कम से कम छह रत्ती वजन का पन्ना सबसे छोटी उंगली में प्लेटिनम या सोने की अंगूठी में बुधवार को प्रात: काल उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
-गुरु (बृहस्पति) के लिए पुखराज सबसे उत्तम है। पांच, सात, नौ या ग्यारह रत्ती का पुखराज सोने की अंगूठी में तर्जनी अंगुली में गुरु-पुष्य योग में शाम के समय धारण करना सर्वोत्तम माना गया है।
-शुक्र ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए हीरा (कम से कम दो कैरेट का) मृगशिरा नक्षत्र में बीच की अंगुली में धारण करना चाहिए।
-शनि ग्रह की शांति के लिए नीलम उपयुक्त है। पांच, छह, सात, नौ अथवा ग्यारह रत्ती का नीलम मध्यमा अंगुली में शनिवार को श्रवण नक्षत्र में पंचधातु की अंगूठी में धारण करना चाहिए।
-राहु के लिए छह रत्ती का गोमेद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में बुधवार या शनिवार को धारण करना चाहिए। इसे पंचधातु में तथा मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।
-केतु के लिए छह रत्ती का लहसुनिया गुरु पुष्य योग में गुरुवार के दिन सूर्योदय से पूर्व धारण करना चाहिए। इसे भी पंचधातु में तथा मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments