Sunday, January 12, 2025
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पार्ट-2: शब्दों व अंकगणित की जादूगरी में माहिर है पालिका में काले कारनामों का गिरोह!

फर्रुखाबाद:(दीपकशुक्ला) सामान्य रूप से रिश्वत व् कमीशन लेने को भ्रष्टाचार माना जाता है| लेकिन नगरपालिका फर्रुखाबाद ने भ्रष्टाचार करने का ऐसा रास्ता निकाला जो आम लोगो की नजर से बिलकुल दूर है लेकिन करोड़ो रुपयों का गोलमाल बहुत ही शातिराना अंदाज़ से किया जा रहा है| समूह बनाकर किये जा रहे इस योजनाबद्ध गोलमाल में सबके हिस्से पहले से तय हैं|. बोर्ड की बैठक से पहले दावत और उपहार फिर बोर्ड की बैठक में अग्रिम पंक्ति में बैठकर किसी भी प्रस्ताव पर चर्चा हुए बिना प्रस्ताव पास| इसके बाद फ़ाइल् में लगाने के लिए किसी गुमनाम समाचार पत्र में विज्ञापन और अपनी चहेती फर्म के नाम टेंडर और बिना निर्माण कराये भुगतान| क्या बात है ???
वैसे जनता को विकास का सपना दिखाकर बोर्ड में शामिल होकर जाने की जंग जीतने के बाद जिनका मकसद केवल उपहार या हिस्सा प्राप्त करना हो या कोई टेंडर उन्हें इससे मतलब भी क्या की जो प्रस्ताव उनके द्वारा बिना चर्चा के पारित किये जा रहे हैं उनमे क्या है…. लेकिन इस बार मामला फंसता नजर आ रहा है… कारण साफ़ है की बदली हुई सत्ता में ऐसा गोलमाल करना आसन नहीं है… 23 जून को हुई बैठक में सदर विधायक मेजर सुनील दत्त मौजूद थे तो सांसद मुकेश राजपूत के प्रतिनिधि के रूप में भाजपा नेता दिलीप भारद्वाज के साथ ही कुछ और सभासद भी तैयारी के साथ आये थे| जिसके कारण अनेको प्रस्तावों पर कुछ सभासदों अनुभव कनौजिया, श्यामसुंदर लाल सहित कई सभासदों ने भारी विरोध भी दर्ज कराया गया| तो सांसद प्रतिनिधि ने नगरपालिका में भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर जोरदार हमला बोला| और शहर के विकास के लिए निर्माण के सभी प्रस्ताव पास हो गए|
अब जरा ध्यान से पढिये!! पढ़ते वक़्त शब्दों का विशेष ध्यान रखना क्योकि शब्दों में ही पूरा खेल छिपा है. बात करते है नगरपालिका के जिम्मेदारो के खेल की| 6 जनवरी को बोर्ड बैठक में पारित प्रस्ताव संख्या 50 के क्रमांक 1 में वार्ड संख्या 2 में 262000.00 की लागत से निर्माण कार्य होना था जिसमे कार्य का नाम “वार्ड न० 2 मो० कनपटियापुर में रामअवतार के मकान से राधेश्याम के मकान तक नाली सड़क इंटरलाक निर्माण कार्य” था| वहीँ दिनांक 23 जून को पारित प्रस्तावों में प्रस्ताव संख्या के क्रमांक 23 पर इसी कार्य को पुनः होना दर्शाया गया है जिसकी लागत अब 198786.00 थी| इसमें कार्य का नाम “ वार्ड न० 2 मो० कनपटियापुर अम्बेडकर जी की मूर्ति के सामने राधेश्याम के मकान से रामऔतार के माकन तक नाली सड़क इंटरलाक निर्माण कार्य था|
ठीक इसी प्रकार 6 जनवरी को बोर्ड बैठक में पारित प्रस्ताव संख्या 50 के क्रमांक 2 में वार्ड संख्या 2 में 211000.00 की लागत से निर्माण कार्य होना था जिसमे कार्य का नाम वार्ड न० 2 मो० कनपटियापुर में कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय से महेंद्र प्रताप शाक्य तक नाली सड़क इंटरलाक निर्माण कार्य था| वहीँ दिनांक 23 जून को पारित प्रस्तावों में प्रस्ताव संख्या के क्रमांक 22 पर इसी कार्य को पुनः होना दर्शाया गया है जिसकी लागत अब 167500.00 थी| इसमें कार्य का नाम वार्ड न० 2 मो० सातनपुर कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय से महेंद्र प्रताप तक नाली सड़क इंटरलाक निर्माण कार्य” था|
शब्दों की बाजीगरी करके किस प्रकार सरकारी धन का गोलमाल करने की योजना थी.. अब अगर कोई इस बात का तर्क देता है की ये गलती से हो गया तो मेरा प्रश्न ये है की शब्दों को इस प्रकार बदलकर क्यों रखा गया और कार्य की दिशा क्यों बदली गयी और जब निर्माण की अनुमानित लागत एक ही जेई द्वारा निकली गयी तो लगत में इतना अंतर क्यों??? यदि प्रस्ताव दुबारा लाना था तो पुराने प्रस्ताव को पहले बोर्ड के समक्ष लाकर निरस्त करना था| बात साफ़ है ये प्रस्ताव जानबुझकर योजनाबद्ध तरीके से नगरपालिका के धन का बंदरबांट करना था. इससे इस बात का भी अंदेशा होता है की ये करोंडो का बंदरबांट पिछले लम्बे समय से चल रहा था|
(क्रमशः कल नगरपालिका के भ्रष्टाचार का अगला अंक पढ़िए)

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