फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला) नये शिक्षा सत्र का संचालन शुरू हो चुका है। लेकिन अब तक जनपद के तमाम परिषदीय विद्यालयों में किताबें नहीं पहुंच सकी हैं। इससे पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। ब्लॉक संसाधन केंद्र पर महज कक्षा सात और आठ की हिंदी, गणित, भूगोल, इतिहास, अंग्रेजी और विज्ञान की किताबें ही पहुंच सकी हैं। इन्हीं कक्षाओं की अन्य किताबें अब तक नहीं आई हैं। वही कक्षा 1 स लेकर 6 तक की किताबें जनपद में पंहुची तक नही है| जबकि सूबे के सीएम योगी आदित्य नाथ का दौरा 22 जुलाई को लगभग तय माना जा रहा .है|
जिले के परिषदीय विद्यालयों में एक बार फिर नये शिक्षा सत्र में पुरानी किताबों से पठन-पाठन संचालित हो रहा है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी कक्षा एक से लेकर छह तक की एक भी किताबें अब तक विद्यालयों पर नहीं पहुंची हैं। जनपद में कुल 1855 परिषदीय व जूनियर विधालय है| जिसमे 1290 प्राइमरी, 565 जूनियर व 5 कस्तूरबा आवासीय विधालय है| इन विद्यालयों में छात्रों को विद्यालय के शिक्षक इधर-उधर से एकत्रित किये गए किताब और कुछ विद्यालयों में जमा किये गए किताबों से पढ़ा रहे हैं। बच्चों की शिक्षा जुगाड़ से चल रही है। इसको लेकर अभिभावकों में असंतोष है।
अभिभावकों का कहना है कि शासन और प्रशासन बच्चों की शिक्षा को लेकर खुद गंभीर नहीं है। सिर्फ विद्यालयों को मॉडल बनाने से क्या होगा, जब बच्चों को पढ़ने के लिए समय से किताबें ही नहीं मिलेंगी। शिक्षकों ने इस पर नाराजगी जाहिर की और जल्द किताबें उपलब्ध कराने की मांग की है। कक्षा 7 व 8 की कुछ पुस्तके जिला मुख्यालय को उपलब्ध हुई है|
डिलीवरी को लेकर फैलेगी शिक्षकों व विभाग में रार
विभाग ने आने वाली किताबों को विधालयों तक खुद पंहुचाने का टेंडर किया है| लेकिन इसके बाद भी शिक्षको को प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी शिक्षकों को किताबें अपने आप लादकर विधालय तक ले जाने का दबाब बनाया जा रहा है| जिसको लेकर शिक्षकों में रोष है|
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष संजय तिवारी ने कहा कि शिक्षक किताबों को सिर पर रखकर विधालयों तक नही ला जायेगा | विभाग किताबे आने पर खुद व्यवस्था करे| वही जल्द से ज्ल्स्द किताबें विधालयों में पंहुचायी जाये|
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजकुमार पंडित ने जेएनआई को बताया कि कक्षा सात और आठ की कुछ किताबें आई हैं, जिनसे काम चलाया जा रहा है। जबकि कक्षा एक से छह तक की एक भी किताब अभी तक नहीं आई है। जैसे ही पुस्तक की खेप आएगी, बच्चों में वितरित करा दी जाएगी। वही किताबों को विधालयों तक भेजने का प्रयास किया जायेगा|