फर्रुखाबाद:(जहानगंज) जिले की स्वस्थ्य व्यवस्था की हालत क्या है यह तब साफ़ हो जाता है जब केबल दवा ना मिलने से मरीज तड़प-तडप कर दम तोड़ दे| यह स्थिति तब और जादा भयाभय हो जाती है जब मरने वाला अकेला ही कमाने वाला हो और उसके परिवार में 7 मासूम बेटीयाँ हो| रावेन्द्र की मौत भी इसी तरह दवाई के आभाव में हो गयी| उसकी सात मासूम पुत्रियों के सिर से बाप का साया उठ गया| लेकिन अब बड़ा सबाल है की इस घटना के बाद केबल कोरी जुमलेबाजी के बाद व्यवस्था पर सबाल खड़े होंगे और फिर सब कुछ सामान्य हो जायेगा|
यह घटना थाना क्षेत्र के ग्राम झसी निवासी 44 वर्षीय रावेन्द्र सिंह पाल के साथ हुई| रावेन्द्र बीते दो महीने पहले खेत में पानी लगाने गये थे| उन्हें अचानक एक कुत्ते ने काट लिया| जिसके बाद वह लोहिया अस्पताल व सीएचसी कमालगंज गये लेकिन उन्हें एंटी रेबीज वेक्सीन (एआरबी) नही मिला| नियम यह है की एंटी रेबीज कुत्ते के काटने के तुरंत बाद ही लग जाये| लेकिन काल रावेन्द्र के पीछे पड़ा था| जब सरकारी व्यवस्था उसके सामने मौत बनकर खड़ी हो गयी| वह निराश होकर घर आ गया|
बीते दिन अचानक उसकी तबियत बिगड़ गयी| वह कुत्तों की तरह आवाज निकालने लगा| परिजन उसे लोहिया अस्पताल लेकर आये| लेकिन अफ़सोस फिर लोहिया ने इलाज उसकी हालत देखकर इंकार कर दिया| रावेन्द्र के भाई जितेन्द्र पाल ने बताया की एंटी रेबीज ना मिलने से वह लोग देशी इलाज कराते रहे| लेंकिन मौत ने अपने खूनी पंजे उसके गले में लगा दिये थे| देशी उपचार कराते समय उसकी मंगलवार दोपहर मौत हो गयी|
व्यवस्था पर यह सबाल खड़ा होता है कि बीते दिनों भी जहानगंज क्षेत्र में एक छात्रा की एंटी रेबीज ना मिलने से मौत हो गयी थी| उसके लिये कुछ सामाजिक संगठन खड़े हुये और जिला प्रशासन ने भी मुआवजा दिये जाने का भरोसा दिय था | लेकिन अज तक कोई कार्यवाही नही है| दूसरी मौत रावेन्द्र की हुई जिसके पास खेत भी नही है| उसकी 7 बेटी है| अब कमाने वाला तो सरकारी अव्यवस्था की भेट चढ़ गया तो क्या सरकार इस परिवार को मुआवजा देगी?