नई दिल्ली: भाजपा के लगभग सौ सांसदों पर लोकसभा का टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है। इनमें डेढ़ दर्जन केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं। पार्टी के विभिन्न राज्यों के संगठन मंत्रियों ने अपने अपने राज्यों के आकलन में सांसदों के कामकाज और जनता में लोकप्रियता की कसौटी पर आंकड़ा तैयार किया है। इन सभी को स्थिति बेहतर करने के लिए छह माह का समय दिया जाएगा, साथ ही वैकल्पिक उम्मीदवार की तलाश भी की जाएगी।
केंद्र सरकार के चार साल पूरा होते ही भाजपा में हर लोकसभा सीट की समीक्षा व तैयारी का काम शुरू कर दिया गया है। संघ व संगठन के फीडबैक, निजी एजेंसियों के सर्वे और नमो एप से हर क्षेत्र व हर सांसद की जानकारी जुटाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार हाल में सूरजकुंड में भाजपा के देश भर के सभी राज्यों के संगठन मंत्रियों की बैठक में अनौपचारिक विचार विमर्श में भाजपा के 104 लोकसभा सांसदों की स्थिति को कमजोर माना गया है। सांसद के कामकाज व जनता की राय को इसमें प्रमुख आधार माना गया है।
विपक्षी गठबंधन के बगैर किया गया है आकलन
सूत्रों के अनुसार इसमें उत्तर प्रदेश से आने वाले चार केंद्रीय मंत्रियों समेत 19 सांसद शामिल है। इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है। बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात व कर्नाटक में सांसदों के प्रति भी नाराजगी सामने आई है। यूपी और बिहार में अभी विपक्षी गठबंधन को लेकर विचार नहीं किया गया है। अभी केवल सांसद की स्थिति पर ही राय तैयार की गई है।
नमो एप पर लिया जा रहा है फीडबैक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नमो एप पर सांसदों के कामकाज पर जनता से सीधे प्रतिक्रिया ले रहे हैं। जनता से सांसदों के कामकाज के साथ उसकी लोकप्रियता, क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय नेता की जानकारी जुटाई जा रही है। इसका आंकलन संसद के मानसून सत्र के पहले किया जाएगा। सत्र के दौरान संसदीय दल की बैठक में और अलग से मुलाकात कर भी प्रधानमंत्री सांसदों को उनकी स्थिति से अवगत करा देंगे।
जनवरी में तय होंगे उम्मीदवार
पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि जिन सांसदों का रिपोर्ट कार्ड खराब है, उनको छह महीने का आखिरी समय दिया जाएगा। इस दौरान उस क्षेत्र में वैकल्पिक उम्मीदवार का नाम भी तय किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार पार्टी जनवरी में हर क्षेत्र के लिए उम्मीदवार तय कर लेगी। इस बीच दो सर्वे कराए जाएंगे। आखिरी सर्वे चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद किया जाएगा।