नई दिल्ली: काला धन के खिलाफ मोदी सरकार की मुहिम जारी है। सरकार ने कहा कि विभिन्न उल्लंघनों के लिए 1.20 लाख और कंपनियों का पंजीकरण रद्द होगा। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से सरकार लगातार अवैध रूप से धनराशि के प्रवाह को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है। सरकार का यह फैसला भी इस दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।
करीब 2.26 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन पहले ही रद्द किया जा चुका है। और करीब 3.09 लाख निदेशकों को डिस्क्वालिफाई किया चुका है। सरकार ने पिछले सप्ताह एक समीक्षा बैठक की जिसमें पहले जिन कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया गया उनके खिलाफ की गई कारवाई की समीक्षा की गई। उसी बैठक में 1.20 लाख और कंपनियों का पंजीकरण रद्द करने का फैसला लिया गया। कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री पी पी चौधरी की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। उन्होंने बैठक में अधिकारियों को ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने के आदेश दिए हैं जिनके नाम रिकॉर्ड्स से हटाए जाने हैं। विभिन्न नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर करीब 1.20 लाख कंपनियों का नाम भी रिकॉर्ड से हटाया जाएगा। मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी। दिसंबर 2017 तक विभिन्न नियमों का पालन नहीं करने पर 2.26 लाख कंपनियों का पंजीकरण समाप्त किया जा चुका है।
बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास पंजीकरण रद्द कंपनियों की बहाली के 1,157 मामले भेजे गए हैं। एनसीएलटी ने इनमें से 180 कंपनियों की बहाली पर विचार का आदेश दिया है। इन 180 में से 128 कंपनियों की बहाली संबंधित कंपनी पंजीयकों द्वारा की जा चुकी है। निदेशकों को अयोग्य घोषित किए जाने से संबंधित 992 मामले विभिन्न उच्च न्यायालयों में हैं। मंत्रालय ने कहा कि इनमें से 190 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। इसके अलावा मंत्री ने विलंब पर माफी योजनाओं के मामलों को प्राथिमकता के आधार पर देखने को कहा है ताकि पात्र कंपनियों को इसका लाभ सुनिश्चित हो सके।
मंत्रालय ने कहा कि पंजीकरण रद्द करने और निदेशकों को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद अनुपालन में वृद्धि का रुख दिख रहा है। एमसीए21 पर अधिक से अधिक कंपनियां वार्षिक रिटर्न और लेखाजोखा दाखिल कर रही हैं।कंपनी कानून के तहत सभी तरह का ब्योरा एमसीए 21 पोर्टल के जरिये दाखिल किया जाता है।