Sunday, December 29, 2024
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घर-घर बांटी जायेगी फाइलेरिया की दवा

फर्रुखाबाद: जनपद में सोमवार से तीन दिन तक फाइलेरिया दिवस मनाया जाएगा। इसमें घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा बांटी जाएगी। सीएमओ उमाकांत पाण्डेय ने बताया की आशा बहुएं, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दवाएं देंगी। फाइलेरिया दिवस 18 से 20 दिसंबर तक मनाया जाएगा।शहर के कोने-कोने पर दवा वितरण की व्यवस्था की गयी है| इसके बाद 21 से 23 दिसंबर तक दूसरे चरण में आशा बहुएं छूटे हुए लोगों को दवाएं बांटेंगी।
क्या है फाइलेरिया
फाइलेरिया यानी हाथी पांव एक ऐसी बीमारी है जो परजीवी की वजह से होती है। यह फाइलेरियोडिडिया कुल के निमेटोडो यानि माइक्रोफाइलेरी गोल कृमि की वजह से होती है। यह परजीवी क्यूलेक्स मच्छर से फैलता है।
कृमि के मरने से हमेशा के लिए बंद हो जाता है लसिका तंत्र
फाइलेरिया रोग कृमिवाली बीमारी है यह लसिका तंत्र की नलियों को बंद कर देते हैं। बैंक्रॉफ्टी नामक विशेष प्रकार के कृमि रक्त के जरिये शरीर के अन्य अंगों में भी फैलते हैं। यह कृमि कभी-कभी ज्वर और नसों में सूजन पैदा करते हैं। यह सूजन घटती बढ़ती रहती है जब ये कृमि लसिका तंत्र की नलियों के अंदर मर जाते हैं, तब लसिका वाहिनियों का मार्ग बंद हो जाता है और उस स्थान की त्वचा मोटी और कड़ी हो जाती है। लसिका वाहिनियों के मार्ग बंद हो जाने पर कोई भी औषधि अवरुद्ध लसिका मार्ग को नहीं खोल सकती।
लक्षण- इस बीमारी के लक्षण मच्छर काटने के 16 से 18 महीने के बाद पता चलते हैं। कृमि, ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है जिससे सूजन और घाव में संक्रमण होने लगता है। इसमें पैर और पेडू सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। फाइलेरिया संक्रमण से शारीरिक कमजोरी, चक्कर आना, कमजोरी, सिर दर्द, मिचली आना और हल्का बुखार होता है।फाइलेरिया कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है। इससे गंभीर सूजन, फेफड़ों की बीमारी हो जाती है। लगभग पांच प्रतिशत मामलों में फीलपांव हो जाता है।फाइलेरिया से हाइड्रोसील, वृषण कोष में सूजन, महिलाओं में ब्रेस्ट या बाह्य जननांग प्रभावित होते हैं। वहीं कुछ मामलों में पेरिकार्डियम यानि हृदय और झिल्लीदार आवरण में द्रव जमा होने लगता है।इसके इलाज के लिए डाई इथाइल कार्बेमेजीन दवा दी जाती है, कई मामलों में ऑपरेशन भी किया जाता है।
फाइलेरिया की दवा में बरतें सावधानी
गर्भवती महिलाएं, दो साल से कम आयु के बच्चे और गंभीर रूप से बीमार लोग फाइलेरिया की दवा कतई न लें। वहीं दवा को खाली पेट नहीं खाना चाहिए। दवा खाने के बाद मतली, उल्टी दस्त, सरदर्द, चक्कर, बुखार और उल्टी जैसे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। ऐसी दशा में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें।

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