Wednesday, April 9, 2025
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फ़्लैश बैक: काला धन खपाने के लिए एक डॉक्टर ने खरीदे थे 13 एसी, 5 एलईडी और ….

फर्रुखाबाद: नोटबंदी का एक साल पूरा हुआ, कहीं जश्न मना तो किसी के जख्म हरे हुए| 8 नवम्बर 2016 वो दिन है जो इतिहास बन गया| रात 8 बजे उस दिन दफ्तर में सामान्य कार्य में लगा था कि 5 मिनट बाद ही जूनियर ने फोन पर बताया कि 500 का नोट बंद हो गया| किसी बात को एक बार में ही न मानने की आदत पत्रकार होने के कारण लग चुकी थी| आदतन पुष्टि के लिए दूसरे साधनो पर दिमाग लगाया और लैपटॉप पर एक साथ धड़ाधड़ 3 -4 न्यूज़ वेबसाइट खोल डाली| सब पर एक ही खबर… 500 और 1000 के नोट बंद बैंक बंद करने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दी|

सबसे पहले घर पर पत्नी के पास फोन लगाया (मैं जानता हूँ कि ज्यादातर ने यही किया होगा), पूछा 500 और 1000 के कितने नोट है तुम्हारे पास| जबाब जैसा सबको मिला, मुझे भी मिला| पता नहीं देखना पड़ेगा| ऐसा जबाब सबको मिला होगा मगर कारण अलग अलग हो सकते है| किसी के पास बेहिसाब हो सकता था और किसी के पास जो था वो प्रथम दृष्टया बताना नहीं चाहती थी| दो दिन बैंक बंद रहेगी उसके बाद नोट बदली शुरू होगी| अपने को नोट बदलने की चिंता से ज्यादा चिंता उन लोगो की होने लगी जिनके पास बोरो में नोट थे| बेहिसाब थे| मोदी जानते थे कि ऐसे लोग गिनती के होंगे जिनके पास बेहिसाब दौलत होगी मेरे जैसे बहुतायत में| वोट बैंक के हिसाब से देखे तो चिंता बहुतायत की होती है| मोदी का तीर निशाने पर लगा| नोट बंदी के बाद कई राज्यों में भाजपा चुनाव जीतती जा रही है| क्योंकि हम भारतीयों में वसुधैव कुटुम्बकम ठूस ठूस कर भरा है| अपने घर में बिजली जाने पर फ्यूज चेक करने की जगह घर से बाहर निकल कर पडोसी की बिजली चेक करने की आदत जो है| पडोसी की भी बिजली नहीं आ रही तो संतोष हो जाता है| नोट बंदी से मुझ पर क्या असर पड़ा इससे ज्यादा ख़ुशी इस बात में जनता को हो रही थी कि फलां की “लुटिया डूबी”| मध्यमवर्गीय से लेकर निम्नवर्गीय भारतीय को कोई खास फरक नहीं पड़ रहा था| हाँ अगले तीन महीने टीवी न्यूज़ चेंनल वालो की उड़ के लग गयी थी| नवम्बर का महीना, मीठी सर्दी में नास्ता पानी करके मूंगफली चवाते हुए घर से निकलो, किसी एटीएम पर खड़े हो जाओ, ध्यान से गैर भाजपाई तलाशो और सरकार और नोट बंदी के खिलाफ बयान रिकॉर्ड करो और चलाओ| क्या धूम थी| कई मौते भी एटीएम के पास हो गयी| खैर वो सब तो टीवी पर खूब देखा| और अगले कई सालो तक हमारे बच्चो के बच्चो को भी टीवी वाले लाइब्रेरीज़ से विडियो निकाल निकाल कर दिखाते रहेंगे| हमने तो नोट बंदी के बाद दिसम्बर के आखिरी दिनों में 1 नोट 500 का और 1 नोट 1000 का छोड़ अपने नोट भी जमा कराये| पत्नी के सारे 786 क्रमांक वाले नोट रिजर्व बैंक की टकसाल में चले गए| मुझे याद है बड़े बेमन से दिए थे|

जनवरी आते आते अब नोट बंदी अब डिजिटल कैशलेस में तब्दील होने की हुंकार भर रही थी| मगर सर पर उत्तर प्रदेश का चुनाव थे| मध्य फरवरी तक बाजार में प्रयाप्त नोट आ चुका था और डिजिटल कैशलेस के फेफड़े किसी सांस के रोगी की तरह फूलने लगे| व्यापारियों ने अपने स्वाइप मशीने बंद कर अन्दर रख दी| 1 मार्च २०१७ के बाद कार्ड से पेमेंट करने पर बैंक चार्ज वसूलने लगी और कैशलेस की दम निकल गयी| सरकार बिकी मशीनों और मोबाइल में इंस्टाल पेटीम की संख्या बताकर आंकड़ेबाजी करती रही|

खैर अब बताते है उस बात को इसके लिए आपने पूरा लेख पढ़ डाला| भारतीय होने और भारतीयता दिखाने वाली आदत के अनुसार भारतीयों वाली बात हो जाए| नोट बंदी पर पडोसी का घर झाँक लिया जाए| कई दोस्तों और सूत्रों से मिली जानकारी की पुष्ठी कर लेने के बाद बताने वाली बात ये है कि नोट बंदी के दौरान किस किस ने काला धन सफ़ेद किया इसकी जानकारी सबसे ज्यादा जिन लोगो को है उनमे बैंक कर्मी और वो व्यापारी है जिनके यहाँ मोटा सौदा होता है| मसलन कार, बाइक, टीवी एसी के शोरूम वाले, भवन निर्माण सामग्री विक्रेता सुनार आदि| काला धन सफ़ेद करने के लिए लोगो ने भवन निर्माण सामग्री बेचने वाले और हार्डवेयर स्टोर्स पर अग्रिम करोडो धन जमा कर दिया| जिसमे तम तो ऐसे है जिन्होंने एक साल बीतने के बाद भी सामान नहीं लिया है| दुकानदारो ने इसी अग्रिम धनराशी से अपने बैंक के सीसी खातो में रकम जमा कर दी| बैंक को व्याज मिलना कम हो गया| अभी भी बैंक इस व्यथा से बाहर नहीं निकले है| बड़ी लम्बी जानकारी है कभी फुर्सत में लिखूंगा| चलते चलते बता दू आवास विकास में एक डॉक्टर ने नोट बंदी के दौरान 13 स्प्लिट एसी, 5 1.5 मीटर के एलईडी टीवी खरीद डाले| जिनमे से 2 आइटम को छोड़ कर साल भर बाद भी डिब्बे में ही बंद तहखाने में पड़े है| सनद रहे इस बार की दीवाली नोट बंदी के बाद की दिवाली थी मगर कमजोर नहीं रही| बाजार से बहुत सा कीमती सामान जिसका पैसा अग्रिम 500 और 1000 के नोट की शक्ल में नोटबंदी के बाद दुकानदार के पास जमा किया था इस दिवाली पर घर गया था| दुकानदार ने भी दिल खोल कर बैक डेट में बिलिंग कर खूब काले धन को सफ़ेद करने में आखिरी कील ठोकी थी| फिर मिलेंगे…..

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