Thursday, January 16, 2025
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWSमातमी धुनों के साथ मुहर्रम के ताजिये दफन

मातमी धुनों के साथ मुहर्रम के ताजिये दफन

फर्रुखाबा : मुहर्रम पर जुलूस के साथ ताजिये निकाले गए तथा कर्बला में दफन किए गए। कई जगह मातमी जुलूस भी निकाले गए। मुहर्रम को ध्यान में रखकर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे। जिन इलाकों से जुलूस को गुजरना था, वहां पुलिस के जवान तैनात किए गए थे।

जुलूस के दौरान बताया गया कि चौदह सौ साल पहले आज के ही दिन यजीद की फौज ने हजरत मुहम्मद के नाती इमाम हुसैन, उनके परिजनों व साथियों को इराक में कर्बला के मैदान में तीन दिन तक भूखा-प्यासा रखकर मार डाला गया था। तब से उनकी याद में हर साल शहादत के बयान तथा ताजियादारी का आयोजन किया जाता है। यह भी बताया गया की आज के दिन का इस्लाम में विशेष महत्व है। यदि आज इस्लाम जिंदा है तो वह इमाम हुसैन की शहादत की वजह से है अन्यथा इस्लाम का रूप बदल जाता। इमाम हुसैन की शहादत हमें इस बात की प्रेरणा देती है कि बुराई के आगे कभी झुकना नहीं चाहिए, चाहे इसके लिए कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।मुसलमानों के साथ ही अन्य धर्मो के लोगों ने भी ताजिये पर चढ़ावा चढ़ाया। कई स्थानों पर शबील भी लगाई गईं।

कमालगंज में पहले रामलीला का रथ निकला| दोपहर बाद ताजिये निकाले गये| ताजिये थाने के सामने से शुरु हुये और मातमी धुन के साथ गंगा गली होते हुये करबला में दफन किये गये| वही जहानगंज में सरफाबाद में मुहर्रम मनाया गया| मोहर्रम कमेटी के अध्यक्ष साजिद की सरपरस्ती में 50 फिट का ताजिया रखा गया तथा हुसैन की याद में छड़ी बाजों ने अपने करतबों को दिखाया।फतेहगढ़ चौराहे से कोतवाली वाली सड़क पर ताजिये निकाले गये|
कुआंखेड़ा में हुआ खूनी मातम
कायमगज के ग्राम कुआंखेड़ा खास में मोहर्रम की नवीं तारीख पर मस्जिद के पास हुसैन के दीवानों ने खूनी मातम किया। जिसमें असलम आलम खां, फिरोजआलम खां, नायाब आलम, सै. जफर अली नकबी, बाबर खां, सै. परवेज मंसूरी आदि जंजीरों में जुड़ी छुरियों से अपने नंगे बदन पर प्रहार कर खुद को लहूलुहान कर लिया। इस दौरान अकीदतमंद या हुसैन-या अली की सदाएं बुलंद कर रहे थे, लोगों की भारी भीड़ मौजूद रहीं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments