फर्रुखाबाद:(राजेपुर) कहते है आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है| यदि कुछ इन दिनों गंगापार बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में देखने को मिल रहा है| क्षेत्र के ग्राम शीशराम की मडैया में| जंहा ग्रामीणों के द्वारा बनाया गया लकड़ी का पुल चर्चा का विषय बना हुआ है| यह भी चर्चा है कि एक तरफ सरकार पुल निर्माण के लिये लाखो खर्च करती है और उसके निर्माण में वर्षो का समय भी लगता है| लेकिन यंहा ग्रामीणों ने अपनी आवश्यकता के हिसाब से लकड़ी का पुल बना लिया| जिस पर से बाइक सबार, साइकिल सबार बड़े ही आराम से निकल जाते है|
क्षेत्र की जनता बाढ़ से ग्रस्त है| यंहा के लोगो ने वर्षो से बाढ का प्रकोप झेल कर उससे आने वाली मुसीबतों को हिम्मत के साथ मात देना सिख लिया है| दर्जनों घरो को गंगा व ररामगंगा अपने साथ बहा ले गयी| तो कुछ ग्रामीणों ने अपना घर कटते देख खुद ही तोड़ लिया| अब किसी सुरक्षित जगह पर अपने सिर पर छत भी तैयार कर ली| यह हर साल बाढ़ के दिनों में होता है|जंहा सामान्य आदमी एक बार आवास निर्माण कराने के बाद उसका बजट बिगड़ जाता है| वही गंगा पार क्षेत्र के बासिन्दे इस तरह की मुसीबत से हर वर्ष जूझते है| सरकार आयी और गयी केबल विकास के वादे के साथ| आजादी के वर्षो बाद भी आज भी क्षेत्र की जनता लकड़ी के पुल से गुजर रही है|
शासन-प्रशासन कितनी मदद देता है वह तो हर साल आने वाली बाढ़ ही बता देती है| ग्रामीण अपने दम पर बहुत कुछ करते है| शीशराम की मडैया में ग्रामीणों के निकलने का मार्ग कट गया| तो उन्होंने तत्काल लकड़ी का अस्थायी पुल निर्माण कर दिया| जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है|