Tuesday, December 24, 2024
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWSईश्वर की दिव्य चेतना का अंश है गुरु महिमा

ईश्वर की दिव्य चेतना का अंश है गुरु महिमा

फर्रुखाबाद: गुरु अर्थात .संपूर्ण एगुरु अर्थात गाइड या शिक्षक जो हमे सद मार्ग दिखाए वह है गुरु जो सद आचरण के लिए प्रेरित करे जब हम बह आचरण अपने आप में अंगीकृत कर लेते है है तो यह होती है गुरु महिमा| जब हम लौकिक और भोतिक युग की बात करे तो गुरु से आशय गुरुत्व अर्थात खिचाव का भारीपन भारी किससे गुणों से कैसे गुण. सद्गुणय सद्गुणों का भंडारय ग्रह पिंड तारे सूर्य चंद्र गुरुत्वाकर्षणके संतुलन से ही चलाये मान है|

करोंड़ों सौरमंडल की कल्पना की गई है इन सब का संतुलक है गुरुत्व श्गुश् अर्थात अंधकार श्रुश् का अर्थ है प्रकाशित करना अर्थात अज्ञान रूपी गुफा को जो ज्ञान रूपी प्रकाश से प्रकाशित कर दे बह है| गुरु यगुरु शरीर रूप में ईश्वर के उस अंश को अंकुरित करके साक्षात्कार करवाता है और अन्धकार को दूर कर देता है ब्रह्मत्व गुरुत्व ईश्वरीय शक्ति एक ही तो है जो गुरु इनका प्रत्यक्ष अनुभव करके शिष्य को उसका अनुभव कराता है| यही गुरु का गुरुत्व है अर्थात गुरु की महिमा गुरु के महत्व को आदि काल से इस प्रकार् परिभाषित किया गया है|
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात पारब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम

जिस प्रकार हम विना दर्पण की सहायता से अपना चेहरा नहीं देख सकते ठीक उसी प्रकार बिना गुरु के अपने गुण दोष मनुष्य नहीं देख सकते किन्तु अगर आप विना गुरु के कुछ हासिल भी कर लो तो यह भी सत्य है कि विना गुरु के इसी धरा पर अगुठे भी काट लिए गए गुरु स्रजनकर्ता है गुरु शिष्य की मन और आत्मा का भक्ति रूपी ईश्वरीय श्रींगार से निर्माण करता है और सद्मार्ग पर चलने की प्रेद्ना देता है माता पिता जन्म देने के कारण एक अलग स्थान रखते है लेकिन परम पिता से साक्षात्कार कराने वाला गुरु ही होता है गुरु ही बह कुम्हार है है जो शिष्य को पक्का घड़ा बनाता है
कबीर साहब ने कहा है
निगुरा ब्राह्मण नहीं भला गुरु मुख भला चमार
देवता से कुत्ता भला नित भौके निज द्वार

आदि काल से ही गुरु परम्परा हमारे यहाँ प्रचिलित है श्रामश् श्कृष्णश् श्गुरुगोविंद सिंहश् ष्महर्षि व्यासय कश्यप ऋषिष् महर्षि ओशो यकबीरदासष् गुरुनानक श्परमपूज्य माधव राव सदाशिवराव गोलवरकर परम पूज्य गुरु जीश् आदि आदि अनेको इस पावन भूमि पर हमारे सद्मार्ग बताने वाले सद पुरुषो ने धरा पर जनम लेकर एक नयी दिशा दिखाई जिससे भारत भूमि पावन हुई
आज के युग में शिक्षक दिवस नहीं गुरु उत्सव की आवश्यकता है क्यों कि आज शिक्षक नहीं गुरु की आवश्यकता है शिक्षक अपने कर्तव्य से दिग्ब्रह्मित हो सकता है लेकिन गुरु अपने कर्त्तव्य से नहीं गुरु आदिकाल से पूज्यनीय था और आज भी है चाहे आप किसी धर्म में देख ले या किसी सम्प्रदाए में गुरु का आज भी विशेष स्थान है बिना गुरु के जीवन नैया पार नहीं हो सकती है हमको अपने इतिहास को सहेज कर रखना है क्योकि जो इतिहास को याद नहीं रखते ए उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।

गुरु पूर्णिमा विशेष संजय तिवारी
शैक्षिक महा संघ जिलाध्यक्ष/ मंत्री कानपुर मंडल
जनपद फर्रुखाबाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments