फर्रुखाबाद: 10 फरवरी 1997 को भाजपा के तत्कालीन बड़े नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की फर्रुखाबाद में लोहाई रोड स्थित एक समारोह में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी| उनकी हत्या के बाद से अब तक 20 साल का समय गुजर गया| इस बीच मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने हत्याकांड के आरोपी विजय सिंह को सजा दिलाने के लिये पूरी ताकत लगा दी | वही विजय सिंह को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा हुई| लेकिन हाई कोर्ट ने सजा को निलंबित कर दिया| लेकिन 20 साल बाद शुक्रवार को लोअर कोर्ट के आजीवन कारावास की सजा के निर्णय पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुहर लगा दी। और विजय सिंह की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी| मेजर का कहना है कि उन्हें कानून पर पूरा भरोसा था|
विदित है कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के साथ ही साथ उनके गनर बृजकिशोर तिवारी की भी मौत हो गई थी। घटना के सम्बन्ध में ब्रह्मदत्त के भतीजे सुधांशु दत्त द्विवेदी ने मुकदमा दर्ज कराया था| जिसमे घटना की सीबीआई जांच कराई गई। सीबीआई के डिप्टी एसपी वीपी आर्या ने न्यायालय में पूर्व विधायक विजय सिंह व पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत एवं उनके पूत्र पंचशील राजपूत के अलावा माफिया संजीव महेश्वरी आदि के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। सीबीआई अदालत के जस्टिस कलीमुल्लाह ने बीते 28 जुलाई 2003 को ब्रह्मदत्त की हत्या के आरोपी कुख्यात शूटर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा के साथ ही साजिश के मामले में पूर्व विधायक विजय सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने विजय सिंह की सजा को सस्पेंड करके जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किये| जिसके बाद विजय सिंह जेल ने बाहर आ गये| विजय सिंह को सजा दिलाने के लिये ब्रह्मदत्त द्विवेदी के पुत्र मेजर सुनील दत्त द्विवेदी व छोटे पुत्र प्रियांक दत्त द्विवेदी लगातार प्रयास में लगे रहे| विजय सिंह को जेल की सलाखों के पीछे भेजने के लिये मेजर और उनके भाई प्रियांक ने बीस साल संघर्ष किया| लेकिन हिम्मत नही हारी| इस बीच विजय सिंह सदर सीट से तीन बार विधायक चुने गये| आखिर 2017 के चुनाव में मेजर से विजय सिंह को ऐतिहासिक हार दे दी|
मेजर सुनील दत्त द्विवेदी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी| सुप्रीमो कोर्ट ने बीते तीन माह पूर्व सुनबाई करके हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मामले की दैनिक सुनवाई के आदेश दिये| शुक्रवार को जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस डा.विजय लक्ष्मी ने विजय सिंह की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के निर्णय पर मुहर लगा दी।