Monday, December 23, 2024
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शहीद की शहादत के 17 साल, बेबा बेहाल

फर्रुखाबाद: आज ही के दिन कारगिल युद्ध में दुश्मनों से मोर्चा लेते हुए लांस दफेदार मलेट्री सिंह शहीद हो गये थे। उनकी शहादत के आज 17 साल पूरे हो गये। परिजनों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर व मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन शहीद की बेबा के हक को अभी तक न केन्द्र सरकार ने सुना और न राज्य सरकार ने।

13 फरवरी 1999 में हुए कारगिल युद्ध में आर्मी डाॅग यूनिट श्रीनगर में तैनात मिलेट्री सिंह के सीने में दुश्मनों की कई गोलियां लगीं। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में उनकी मृत्यु हो गयी थी। शासन ने रक्षा मंत्रालय की संस्तुति पर मरणोपरांत उन्हें सेनामेडल देकर सम्मानित किया था। तत्कालीन सरकार ने शहीद की पत्नी गीता देवी को तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल पंकज जोशी ने पेट्रोलपम्प दिये जाने की घोषणा की थी। लेकिन पति की मृत्यु के बाद गीता देवी को 11.5 लाख रुपये मिले।

इसके बाद से गीता का संघर्ष शुरू हुआ। राजनेताओं से लेकर रक्षा मंत्री तक, सांसद से लेकर सरकार तक, गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, वेलफेयर सेन्टर के कमांड कार्यालय लखनऊ के दरबाजों पर गुहार लगायी। लेकिन नतीजा हाथ नहीं लगा। भारत मां की रक्षा करते हुए बलिदान हुआ देश का सपूत मिलेट्री सिंह की पत्नी गीता देवी का कहना है कि उन्होंने अपनी दो  बेटियों की शादी कर्ज लेकर की है। पेट्रोलपम्प अभी तक मंजूर नहीं किया गया। उनके पति को शहीद हुए 17 सालें हो गयीं। सोमवार को सेन्ट्रल जेल, नारायणपुर स्थित शहीद के आवास पर गीता देवी, उनके पुत्र सुशील, सुधीर व सुबीर ने कई लोगों के साथ शहीद पिता की शहादत पर याद कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की और कैंडिल भी जलायीं।

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