Tuesday, December 24, 2024
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केन्द्रीय कारागार के शाबिर का संगीत साहब के हवाले

फर्रुखाबाद: जिसका संगीत सुने बिना कारागार या प्रशासन का कोई कार्यक्रम सम्पन्न नही होता था| देश भक्ति की इस तरह की धुन शायद ही कही और देखने को मिले| पूरे तन-मन से तराने छेड़ने वाले केन्द्रीय कारागार के आजीवन कैद की सजा काट रहे शाबिर अली पुत्र सराफत अली निवासी हरिहरपुर कानपुर देहात को 18 साल के बाद जेल से आजाद कर दिया गया| शाबिर ने जेल का संगीत अपने शागिर्द के हबाले कर दिया| शाबिर बीते 24 जनवरी को ही रिहा हो गये| लेकिन पुलिस लाइन में उन्हें जेल अधिकारीयों ने निवेदन कर बुलाया था|

केन्द्रीय कारागार में बीते 11 नबम्बर 1999 में हत्या में आजीवन कैद की सजा काटने के लिये आये शाबिर की रिहाई पर उनके सभी साथियों की आँखे नम है| यंहा तक की बंदी रक्षक भी अपनी आंखो में आंसू रोंक नही पाये| शाबिर ने बताया कि जब उन्हें सजा पड़ी तो लगा की इतनी लम्बी कैद को कैसे दीवार और सलाखों के सहारे काटा जायेगा| कुछ दिन बाद उन्होंने संगीत को अपना साथी बना लिया| जेल का बैड ही उनकी पत्नी और बच्चे बन गये| अब शबीर के हाथ में बैंड मेजर का रुल था| जिसके सहारे उन्होंने अपने जीवन के 18 साल का लम्बा समय जेल में काटा |

शाबिर के अच्छे चाल चलन के चलते जेल से लगभग 18 साल में ही रिहाई मिल गयी| जिसके बाद शाबिर ने अपने शागिर्द साहब लाल पुत्र नेत्रपाल निवासी उंन्नाव को जेल के संगीत की कमान दे दी है| साहब लाल बीते 8 नबम्बर 2008 से जेल में आजीवन कैद की सजा काट रहे है| अब साहब उनकी जगह पर बैड बजायेगा| लेकिन उस्ताद की याद सभी को हमेशा आयेगी | जेल अधीक्षक वीपी त्रिपाठी ने बताया कि हर साल कैदी की जेल के अन्दर के चाल चलन की रिपोर्ट जाती है| उसी में शाबिर की भी रिपोर्ट भेजी गयी थी| आईजी जेल और राज्य सरकार के बाद राज्यपाल के आदेश पर शाबिर को रिहा किया गया | उसे अब संगीत विद्यालय खोलने की सलाह भी दी गयी है|

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