संकट में कांग्रेस दावेदारों का सियासी गणित

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फर्रुखाबाद: कुछ महीने पहले तक विकास की राजनीति की बात कर दोबारा सत्ता में वापसी की बात करने वाले अखिलेश यादव को भी अब गठबंधन वक्ती जरूरत लगने लगा है|. यही वजह है कि वे बिहार की तर्ज पर कांग्रेस, रालोद और अन्य छोटे दलों से गठबंधन को तैयार हैं| दरअसल गठबंधन राहुल और अखिलेश के लिए मजबूरी ही नहीं बल्कि वक्त की जरूरत है|.जहां एक ओर समाजवादी पार्टी पर अपना कब्जा जमाने वाले अखिलेश के पास 2017 में दोबारा सत्ता में वापसी करने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस तीन दशकों से प्रदेश में अपनी जमीन तलाश रही है| गठबधन होने से कांग्रेस के दावेदारों के जिले में समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे है|

पार्टी सूत्रों की माने तो समाजवादी पार्टी के नए सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार देर शाम कांग्रेस, रालोद और अन्य दलों के साथ महागठबंधन की रूपरेखा फाइनल कर ली|.चर्चा है कि अखिलेश यादव ने प्रत्याशियों की सूची भी तैयार कर ली है. बुधवार को अखिलेश महागठबंधन और प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर सकते है|

बीते कई वर्षो से जिले में अपने-अपने विधान सभा क्षेत्रो में टिकट पाने की जुगत में लगे कांग्रेस के दावेदारों की लुटिया डूबती नजर आ रही है| जिससे सभी सकते में है| पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाये बैठे दावेदारों के चेहरो पर अब चिंता साफ देखी जा सकती है| कांग्रेस में विधान सभा अमृतपुर से पार्टी के जिलाध्यक्ष मृत्युंजय शर्मा, शुभम तिवारी व पूर्व विधायक विमल तिवारी के पुत्र आदेश तिवारी दावेदारी कर रहे है | कायमगंज ने राकेश सागर, रमेश कठेरिया, शकुंतला गौतम, विनोद भारती, राजेन्द्र जाटव टिकट की के लिये लगे हुये है| भोजपुर विधान सभा से प्रदेश सचिव कौशलेन्द्र सिंह, सपा से कांग्रेस में शामिल हुये उमेश यादव और भमर सिंह पाल दावेदारी कर रहे है| लेकिन सदर सीट पर पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद की दावेदारी है| लुईस की गठबंधन के बाद भी टिकट पक्की मानी जा रही है| लेकिन इस में भी उस्ताद के सियासी खेल लुईस के लिये चिंता का विषय बना है|