‘मेड इन चायना’ से कहां-कहां बचोगे!

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HANGZHOU, CHINA - SEPTEMBER 04: Chinese President Xi Jinping (right) shakes hands with Indian Prime Minister Narendra Modi to the G20 Summit on September 4, 2016 in Hangzhou, China. World leaders are gathering in Hangzhou for the 11th G20 Leaders Summit from September 4 to 5. (Photo by Lintao Zhang/Getty Images)नई दिल्ली: उरी में सेना के कैंप पर आतंकी हमले के बाद से देश में साथ जनपद में भी पाकिस्तान के खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा है। लेकिन पड़ोसी देश चीन के इस मौके पर पाक के साथ खड़े दिखने से अब चीन भी भारतीयों के निशाने पर आ गया है। सोशल मीडिया पर मुहिम चलाकर चीनी सामान के बहिष्कार की अपील की जा रही है। कहा जा रहा है कि यदि इस दीपावली हम चीनी लाइटें, गिफ्ट, पटाखे, खिलौने आदि न खरीदें तो चीन को सबक मिलेगा। लेकिन क्या ये इतना आसान है? अगर जानकारों से पूछें तो जवाब है, बिल्कुल नहीं!

चीन के साथ कितना है भारत का आयात-निर्यात
इंटीग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ माइक्रो स्‍माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज ऑफ इंडिया के चेयरमैन राजीव चावला कहते हैं कि दोनों देश आपस में इतने उत्‍पादों का आयात-निर्यात करते हैं कि कोई भी उनका विरोध करने की हालत में नहीं है। चीन इस समय भारत को 58.4 अरब डॉलर के सामान का सालाना निर्यात करता है, जो यहां के कुल आयात का 12.6 फीसदी के आसपास होता है।

चावला कहते हैं कि लड़ियां और पटाखे तो कुछ भी नहीं हैं। करीब 16 अरब डॉलर के तो हम इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स प्रोडक्ट ही मंगाते हैं। ये चीजें हमारे दैनिक जीवन का हिस्‍सा हैं। हम जिस मोबाइल पर चीन के उत्‍पादों के विरोध की मुहिम चला रहे हैं, सबसे पहले तो उसे ही कूड़ेदान में डालना पड़ेगा। चावला के मुताबिक भारत चीन को सालाना 16.4 अरब डॉलर का निर्यात करता है। हमारे कुल निर्यात का 4.2 फीसदी चीन को जाता है। द एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के महासचिव डीएस रावत कहते हैं कि हमें चीन के उत्‍पादों का विरोध नहीं करना चाहिए।

चीनी सामान का बहिष्कार नहीं तो क्या हो भारत की रणनीति?

इंडो-चाइना इकोनॉमिक कल्‍चरल काउंसिल के प्रेसीडेंट इरफान के मुताबिक हम चीन के उत्‍पादों का विरोध तब तक नहीं कर सकते जब तक कि अपने घरेलू मार्केट की डिमांड लोगों की परचेजिंग पावर के मुताबिक पूरी करने की हालत में नहीं हो जाते। कोई सामान हमें बनाने की जगह आयात करना सस्‍ता पड़ता है तो उसका आयात ही होगा। चीन के उत्‍पादों का विरोध तो हम कर देंगे लेकिन क्‍या हम अपने घरेलू मार्केट की मांग पूरी करने की हालत में हैं?

इरफान के मुताबिक लंबे समय के लिए चीन से आयात ठीक नहीं है। इसके लिए हमें उनसे टेक्‍नोलॉजी लेनी चाहिए। उनका अनुभव बांटना चाहिए। चीन के साथ भारत में ज्‍वाइंट वेंचर लगाना चाहिए। इससे हमें उनसे कम कीमत में उत्‍पाद पैदा करने की समझ मिलेगी। वर्ष 2000 से 2015 तक चीन ने भारत में सिर्फ एक अरब डॉलर का निवेश किया था। लेकिन 2016 की पहली तिमाही में ही उसने 1.2 अरब डॉलर का निवेश कर दिया। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि भारत ने मोबाइल कंपोनेंट पर 30 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया है। इसे हमें अपने अवसर में बदलना चाहिए। हाल ही में जानी मानी मोबाइल हैंडसेट निर्माता कंपनी जियोनी ने फरीदाबाद में अपना प्लांट लगाने की घोषणा की है।

चीन से क्‍या-क्‍या मंगा रहे हैं हम
भारत चीन से जो चीजें आयात करता है उनमें मोबाइल, टीवी, बर्तन, चार्जर, मेमोरी कार्ड, ऑटो एसेसरीज, बिल्‍डिंग मैटीरियल, सैनीटरी आइटम, किचन आइटम, टाइल्‍स, म्‍यूजिक उपकरण, मशीनें, इंजन, पंप, केमिकल, फर्टिलाइजर, आयरन एवं स्‍टील, प्‍लास्‍टिक, बोट और मेडिकल एक्‍यूपमेंट शामिल हैं।