फर्रुखाबाद:(अमृतपुर) अखिलेश सरकार भले कितने ही बड़े-बड़े विकास के दावे करे लेकिन जमीन पर जो हकीकत है उसे देखकर तो लगता है की जनपद अभी भी लगभग 50 साल पीछे ही चल रहा है| बड़ी-बड़ी इमारते बना दी गयी| जिसका उपयोग जनता कितना कर पा रही है, आज भी गरीब की मौत दवाओं के आभाव से ही हो रही है| उसकी कराहट को कोई सुनने वाला नही| सुने कौन जब अस्पताल खुद बीमार हो| अमृतपुर पीएचसी की हालत किसी कैंसर के मरीज से बिल्कुल भी जुदा नही है| जो एक-एक दिन अपनी मौत का गिन रहा है| और वह मौत उसकी वजट के आभाव हो रही है|
क्षेत्र के लगभग 70 गाँवो का स्वास्थ्य दुरुस्त रखने के लिये पीएचसी का निर्माण वर्षो पहले हुआ था| जिससे आम जनता ने राहत की साँस ली थी| की चलो अब दवा के लिये शहर नही जाना पड़ेगा| जनता को क्या पता था कि यह केबल सफेद हाथी की साबित होगा| कई वर्ष बीत गये अस्पताल पर यौवन की जगह बुढ़ापा आ गया लेकिन वह अपने असली मुकाम को हासिल नही कर पाया| अस्पताल में चंद सरकार के कर्मचारी उसे आक्सीजन लगाने के प्रयास में लगे रहते है| लेकिन उपचार के नाम पर केबल मरीज को जिला अस्पताल रिफर कर दिया जाता है|
अस्पताल की चार दीवार चारो तरफ से टूटी हुई है| जिससे स्थानीय जानवर उसमे अपना चरागाह बनाये हुये है| अस्पताल में बिजली वर्षो से नही आयी| जिससे मरीजो की जान मोमबत्ती की रोशनी से बचाने का प्रयास किया जाता है| इसे बीते सपा सरकार के शासन काल की उपलब्धि कहे या कुछ और?| अस्पताल में चिकित्सक भी नाम मात्र के ही है| चिकित्साधिक्षक के पद पर संबिदा के डॉ० गौरव वर्मा की तैनाती है| आयुस फार्मासिस्ट के पद पर शाकिर हुसैन, फार्मासिस्ट के पद पर राधवेन्द्र सिंह, एएनएम के पद पर मीना, वार्ड बॉय के पद पर राकेश कुमार तैनात है| लेकिन अधिकांश मरीज राजेपुर स्वास्थ्य केंद्र या लोहिया अस्पताल रिफर किये जाते है| अब जनता का दर्द कौन सुने विकास का क्या करे जब उसके दर्द का इलाज ही सरकार नही दे पा रही है|