विधायक के ‘नपुंसक’ होने के दावे पर सवालिया निशान?

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बांदा|| उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में बलात्कार के आरोप का सामना करने वाले बहुजन समाज पार्टी के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी के ‘नपुंसक’ होने के दावे पर सवाल उठने लगे हैं। पीड़िता के बालिग या नाबालिग होने और जमानत का फैसला अतर्रा की अदालत में 11 जनवरी को होगा।

बीती 4 जनवरी को शहबाजपुर गांव की लड़की सीमा (काल्पनिक नाम) ने अदालत में विधायक और उनके चार साथियों पर बंधक बनाकर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था। उसी दिन विधायक ने अपने को विभिन्न बीमारियों से ग्रसित और ‘नपुंसक’ होने का दावा किया। विधायक के निजी चिकित्सक डॉ. राजेन्द्र कटैलिया ने कहा, “विधायक वर्ष 1992 से मधुमेह के मरीज हैं, जिसके कारण उनके गुर्दे खराब हो गए हैं।”

विधायक ने लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई के एंडोक्राइनॉलजी विभाग व नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों द्वारा इलाज किया जाना बताया था।
डाक्टरों ने बताया कि, “विधायक गत 10 जून 2010 को एंडोक्राइनॉलजी विभाग में पंजीकृत हुए थे। जबकि उनका नेफ्रोलॉजी में पंजीयन हुआ ही नहीं और न ही गंभीर बीमारी की पुष्टि हुई।”

पीड़िता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामहित निषाद, गयाप्रसाद व सुरेश निषाद ने संयुक्त रूप से शुक्रवार को सिविल जज जूनियर डिवीजन अतर्रा की अदालत में बताया कि विधायक कानून के शिकंजे से बचने के लिए नायाब तरीका अपना रहे हैं, वे विधायक की मेडिकल बोर्ड से जांच कराने के लिए अदालत में अर्जी देंगे।’अदालत 11 जनवरी को लड़की के बालिग अथवा नाबालिग होने और उसकी जमानत पर फैसला करेगा।