अलीगंज के टपुआ नगला और नगला लच्छी से जिले में आती मौत की शराब!

CRIME FARRUKHABAD NEWS POLICE

SHRABफर्रुखाबाद:पड़ोसी जनपद एटा के अलीगंज क्षेत्र के कई गाँवो में बड़े पैमाने पर अवैध शराब का धंधा फल-फूल रहा है। गांव-गांव में अवैध शराब बनाने की भट्टिया देखी जा सकती हैं। अवैध शराब का यह धंधा पुलिस, आबकारी विभाग और शराब माफियाओं के सांठगांठ से चलता है। अब तक सब अपनी आँखों पर पट्टी बांधे रहे जब दर्जनों घरो के चिराग बूझ गये तो पुलिस लिख पीटने में जुटी है| लेकिन इतनी बड़ी घटना पहले एटा में 21 लोगो की मौत और फिर फर्रुखाबाद में चार लोगो की कच्ची शराब पीने से मौत की घटना ने सरकार की कार्यशैली पर जरुर सबाल खड़े कर दिये है| लेकिन मजे की बात यह है कि सरकार ने अधिकारियो को तो निलंबित कर दिया क्या उन लोगो के गिरेबान तक सरकार की कानून व्यवस्था के हाथ पंहुच पायेगे जिसके कारण अभी तक पुलिस सब जानते हुये भी आरोपियों पर हाथ नही डाल सकी?????

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अलीगंज में कच्ची शराब का यह कारोबार कुटीर उद्योग बन चुका है। इसकी सप्लाई फर्रूखाबाद, मैनपुरी, बदायूं, इटावा, कन्नौज, कासगंज आदि जनपदों में की जाती है। शराब माफिया दो सौ व ढाई सौ ग्राम के पाउच बनाकर बोरियों में भरकर अन्य स्थानों पर आपूर्ति करते हैं। कच्ची शराब माफियाओं के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई के बाद भी वह बच निकले। इसका मुख्य कारण लोग पुलिस विभाग में तैनात पुलिसकर्मियों को ही मानते हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि पुलिस विभाग में भी शराब माफियाओं के शुभचिंतक हैं, जो किसी कार्रवाई की सूचना उन तक अधिकारी के पंहुचने से पहले पंहुचा देते है|

कच्ची शराब में कायमगंज सीएचसी में भर्ती हुये मरीजो ने बताया कि अलीगंज के ग्राम नगला लच्छी और टपुआ में अवैध शराब कारोबारियों की मौत की भट्टी गुलजार रहती है | कारोबारी कच्ची शराब में नशीली गोली मिला देते है जिससे पीने वाले को नशा अधिक आ जाता है| मरीजो ने बताया की मेरापुर थाने कि सीमा पर बाइक से शराब कारोबारी बोरी में शराब भरकर लाते है और 25_30 रुपये में पाउच बनाकर ग्राहक को बेच देते है| गरीब परिवार का व्यक्ति कम दाम में शराब मिलने के लालच में जहर का पाउच खरीद लेता है| जिसके जादा मात्रा में पीने से मौत भी हो जाती है| पुलिस भी धरपकड़ के नाम पर खानापूरी करती रहती है| जिससे अबैध शराब के कारोबारीयो के हौसले बुलंद है|

अबैध शराब में निर्माण में और बिक्री में नही है कड़े कानून

असल में 105 वर्ष पहले अंग्रेजों के बनाए उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम, 1910 के तहत ही शराब की तस्करी करने से लेकर अवैध रूप से कच्ची देशी शराब बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।चूंकि मौजूदा अधिनियम (एक्ट) में न कड़े दंड और न ही भारी-भरकम दंड शुल्क वसूलने की व्यवस्था है, इसलिए बेखौफ होकर शराब की तस्करी होती है और धड़ल्ले से अवैध शराब बनाई जाती है। इसलिए राज्य सरकार अब आबकारी अधिनियम में ही संशोधन करने जा रही है। मौजूदा एक्ट के तहत अभी दोषियों को जहां छह माह तक ही कारावास (जेल) हो सकता है वहीं जुर्माना भी अधिकतम पांच हजार रुपये तक है।
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