Monday, December 23, 2024
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मालेगांव ब्लास्टः आतंक को मजहबी रंग देने की सियासत फिर तेज

malegaon1नई दिल्ली:कहतें है कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता लेकिन 2008 मालेगांव बम धमाके मामले में एनआईए की सप्लीमेंटरी चार्जशीट फाइल होने के बाद फिर से आंतकी घटनाओं को मजहबी रंग देने की सियासत पूरे उफान पर है। जहां बीजेपी और शिवेसना भगवा आतंकवाद शब्द पर कांग्रेस से माफी मांगने को कह रही है वहीं कांग्रेस ने पलटवार कर बीजेपी पर हेमंत करकरे की शहादत का अपमान करने का आरोप लगाया है। बम धमाकों के मामलों में जेलो में कैद मुस्लिम युवकों के लिये कानूनी लड़ाई लडने वाली संस्था जमीयत उलेमा ए महाराष्ट्र ने आतंकी रंगों पर जारी इस सियासत में कुदते हुए एनआईए के स्पलीमेंटरी चार्जशीट के खिलाफ उपरी अदालत में अपील करने का ऐलान किया है।

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर- भारत में हुए सभी आंतकवाद घटनाओं के मामलों में ये वो नाम है जिसके सामने आने के बाद पहली बार देश में भगवा आंतकवाद शब्द का इस्तमाल किया गया। 2008 मालेगांव बम धमाके मामले में साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी पर कांग्रेस ने जमकर भगवा आतंकवाद शब्द को भुनाया। देश में 2008 मालेगांव ब्लास्ट के पहले कई आंतकी घटनाएं हो चुकी थी लेकिन कभी भी इस तरह सार्वजनिक तौर पर आंतकी वारदातों को मजहबी रंग नहीं दिया गया। ये पहला मौका था जब किसी आंतकी वारदात को मजहबी रंग के चश्मे से देखा जा रहा है।

लेकिन आठ साल बाद सबूतों के अभाव में एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चीट क्या दी बीजेपी ने बिना कोई मौका गंवाए कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमले बोलना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने जानबूझकर प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार करवाया ताकि भगवा आंतकवाद शब्द लोगों के जहन में घर कर जाये। वहीं शिवसेना ने साध्वी को गिरफ्तार करने वाले एटीएस अधिकारियों पर कारवाई की मांग की है।2008 मालेगांव बम धमाके मामले में एनआईए की सप्लीमेंटरी चार्जशीट फाइल होने के बाद फिर से आंतकी घटनाओं को मजहबी रंग देने की सियासत पूरे उफान पर है…

आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश ने एक टीवी चैनल से कहा, ‘इन धमाकों में मेरी न तो पहले कोई संलिप्तता रही है और न अब है। जो जांच की गई थी वो गलत दिशा में थी। आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना नहीं चाहिए। हिंदू या मुस्लिम आतंकवाद जैसा कुछ नहीं होता। ये केस अब सही दिशा में आगे बढ़ेगा।’ बता दें कि इंद्रेश के साथ भी इस मामले में पूछताछ की गई थी। बीजेपी सांसद किरीट सौमैया ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि मालेगांव की घटना पर ऐसा लगता है कि वोट की राजनीति के लिए कांग्रेस ने उस वक्त भगवा आतंकवाद को तो शुरू नहीं किया था। वहीं शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने कहा कि आज खुशी है कि प्रज्ञा सिंह को न्याय मिल रहा है लेकिन उनकी जिंदगी के दस साल जो जेल में बीत गए, उनके ऊपर जो अत्याचार हुए, उसकी भरपाई कैसे होगी? साध्वी की गिरफ्तारी के पीछे जो भी एटीएस के अधिकारी हैं उनकी गिरफ्तारी होनी ही चाहिए।

वहीं शहीद हेमंत करकरे के बहाने कांग्रेस ने पलटवार करते हुए बीजेपी पर आरोप लगाया है कि भगवा आंतकवाद में शामिल आरोपियों को बचाकर मोदी सरकार शहीद करकरे का अपमान कर रही है। अन्य विपक्षी दल भी कांग्रेस के सुर में सुर मिलाकर एनआईए का गलत इस्तमाल करने का आरोप बीजेपी पर लगा रही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता प्रमोद तिवारी ने कहा, ‘जो तथ्य हेमंत करकरे ने जुटाए थे वो इतने स्ट्रॉन्ग थे कि इन्हें जमानत नहीं मिली थी लेकिन अब जिस पार्टी से ये जुड़ी हुई है जाहिर है दबाव उनकी तरफ से ही था।

आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने हेमंत करकरे की शहादत का अपमान बताया और कहा कि अगर इस तरह काम होगा तो सरकार बदलने से जांच की दिशा ही बदल जाया करेगी। जमीयत उलेमा ए महाराष्ट्र के महासचिव गुलजार आदमी ने कहा कि संस्था इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी। वकीलों से बात चल रही है और इंसाफ के लिए जहां तक जाना होगा हम जाएंगे। हुकूमत के खिलाफ भी लड़ेंगे।

गौरतलब है कि जब साल 2006 में मालेगांव बम धमाके मामले में मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया गया था तब शिवसेना सहित कुछ कट्टर हिदू संगठनों ने भी हरा आतंकवाद शब्द का इस्तमाल किया था लेकिन साध्वी की तरह इस मामले में भी एनआईए ने एटीएस की थ्योरी को गलत बताया और नतीजा ये हुआ की कोर्ट ने गिरफ्तार किए गए आरोपी मुस्लिम युवकों को निर्दोष रिहा कर दिया। वहीं आम आदमी पार्टी नेता आशीष खेतान ने कहा कि इस घटना में न सिर्फ आरएसएस काडर बल्कि टॉप लीडर भी लिप्त हैं। बहरहाल, एनआईए की चार्जशीट के बाद सभी राजनीतिक दल भगवा और हरा आतंकवाद के नाम पर सियासत करने में लगे हुए है लेकिन सवाल ये है कि मालेगांव में हुए इन दोनों ही बम धमाकों में क्या जांच एजेंसियों की लापरवाही से गलत लोगों को गिरफ्तार किया गया या फिर पिछली और मौजूदा सरकारों ने अपने सियासत के लिए आतंकवाद को मजहबी रंगों में बांट दिया?

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