कांग्रेस को नए सिरे से यूपी में खड़ा करना चाहते हैं राहुल, लेकिन आ रही ये मुश्किलें

FARRUKHABAD NEWS Politics Politics-CONG.

MOHALI, INDIA - MARCH 30: General Secretary of the Indian National Congress, Rahul Gandhi watches the action during the 2011 ICC World Cup second Semi-Final between India and Pakistan at Punjab Cricket Association (PCA) Stadium on March 30, 2011 in Mohali, India. (Photo by Raveendran-Pool/Getty Images)लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नए सिरे से खड़े होने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर ही प्रदेश में ‘दलित कान्क्लेव’ आयोजित किया गया और इसके बाद 55 जिलों में ‘भीम ज्योति यात्रा’ भी निकाली गई। लेकिन कांग्रेस और दलितों के बीच दूरियां मिटाने की ये कवायदें भी कामयाब होती नहीं दिख रही हैं।

पार्टी सूत्रों की मानें तो दलित वोट बैंक की वापसी की जुगत में लगी कांग्रेस की कोशिशें वरिष्ठ नेताओं की उदासीनता की वजह से परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। राज्य के 55 जिलों में निकाली गई भीम ज्योति यात्रा में प्रदेश के नेताओं ने सहयोग नहीं किया। कांग्रेस के एक विधायक ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को इसकी हकीकत बताई। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर की 125वीं जयंती पर दलित कान्क्लेव का आयोजन कर दलितों का बसपा से मोहभंग कराने और उस पर भाजपा का रंग चढ़ने से रोकने की कोशिश हुई थी। रोहित वेमुला प्रकरण के बाद बदलाव की उम्मीद भी जगी थी।

विधायक ने बताया कि अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष भगवती प्रसाद के नेतृत्व में भीम ज्योति यात्रा निकाली गई थी। 55 जिलों में दस हजार किलोमीटर का सफर तय किया गया। 226 जनसभाएं की गईं, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। कांग्रेस जहां थी, वहीं खड़ी है।

उन्होंने बताया कि राहुल के निर्देशों के बावजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने दलितों को जोड़ने में जरा सी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। दलितों को जोड़ने के लिए पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं को ही एकजुट नहीं कर पाई। गांवों और दलित बस्तियों में प्रभावी कार्यक्रम आयोजित करने में स्थानीय नेताओं ने कोई रुचि नहीं दिखाई। हालांकि कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत इस बात से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, कि ऐसा नहीं है। दलित कान्क्लेव व भीम ज्योति यात्रा दोनों कार्यक्रम सफल हुए। इन कार्यक्रमों के दूरगामी परिणाम होंगे और दलितों का बसपा से जरूर मोहभंग होगा।

राजपूत ने कहा कि दलित युवा अब जातिवाद और भ्रामक नारों से तंग आ चुके हैं। इन कार्यक्रमों को लेकर दलित युवाओं में काफी उत्साह दिखाई दिया। यही कारण है कि आने वाले दिनों में इसका असर भी दिखेगा। उधर, कांग्रेस के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने बातचीत के दौरान कहा कि भीम ज्योति यात्रा जिस उद्देश्य को लेकर शुरू की गई थी, वह सफल नहीं हुई। 55 जिलों में 10 हजार किलोमीटर की यात्रा के बाद पार्टी को क्या मिला, यह बड़ा सवाल है।