Monday, December 23, 2024
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ब्रेकिंग: कभी चाय बेचने वाले केशव मौर्या अब बने यूपी बीजेपी के अध्यक्ष

bjp keshv maurayलखनऊ: उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने केशव कुमार मौर्या को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर सबको चौंका दिया है. पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो मौर्या का सियासी अनुभव उतना ज्यादा नहीं रहा है. ऐसे में उनका प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नियुक्त किया जाना सालों से पार्टी के लिए जमीन तैयार कर रहे नेताओं के लिए एक झटका है.

इलाहाबाद के फूलपुर से 2014 में पहली बार सांसद बने मौर्या काफी समय से विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे हैं. जानकार बता रहे हैं कि मौर्या का चयन आरएसएस के इशारे पर किया गया है|
दामन पर लगा है हत्या का दाग
बता दे कि यूपी बीजेपी के नये अध्यक्ष के दामन पर दाग लग चुका है. वहीं केशव मौर्या पर हत्या के प्रयास की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल है. साल 2011 में मोहम्मद गौस हत्याकाण्ड में आरोपी हैं केशव मौर्या|

इलाहाबाद में दर्ज है 10 आपराधिक मामले
केशव मौर्या के खिलाफ हत्या के प्रयास से लेकर साम्प्रदायीक दंगे भड़काने, आगजनी और भड़काऊ भाषण देने के 10 मामले इलाहाबाद और कौशाम्बी में दर्ज है. ये सभी मामले 2008 से 2014 के बीच दर्ज हुए हैं. इन सभी मामलों में मौर्या के खिलाफ गंभीर धाराएं लगाई गई हैं| जानकार बता रहे हैं कि मौर्या का चयन के मतलब है बीजेपी 2017 में हिंदुत्व के एजेंडे को फिर से उठाने के मूड में है|

चाय की दुकान चलाते थे पिता, केशव बेचते थे अख़बार
केशव कौशांबी के सिराथू के कसया गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता श्याम लाल वहां चाय की दुकान चलाते थे. केशव प्रसाद मौर्य की प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई. बचपन में केशव पिता की दुकान चलाने में मदद करते थे और अखबार भी बेचते थे|
आज है करोड़ों की संपत्ति
आज उनके और उनकी पत्नी के पास करोड़ों की संपत्ति है. लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन के समय दिए गए हलफनामे के अनुसार आज केशव दंपती पेट्रोल पंप, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी, कामधेनु लाजिस्टिक आदि के मालिक हैं. साथ ही जीवन ज्योति अस्पताल में दोनों पार्टनर हैं. सामाजिक कार्यो के लिए कामधेनु चेरीटेबल सोसायटी भी बना रखी है.

विहिप से 18 साल तक जुड़े रहे
विहिप से जुड़े केशव 18 वर्ष तक गंगापार और यमुनापार में प्रचारक रहे. 2002 में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया. उन्हें बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने हराया था. इसके बाद वर्ष 2007 के चुनाव में भी उन्होंने इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. इस बार भी उन्हें जीत तो नहीं हासिल हुई पर 2012 के चुनाव में उन्हें सिराथू विधानसभा सीट से भारी जीत मिली.

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